रांची: 25 मार्च 2020 यह वह दिन था जिस दिन प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद देशभर में लॉकडाउन लागू कर दिया गया. लॉकडाउन लागू होने के बाद से ही सबसे अधिक अगर किन्ही की जिम्मेवारी बढ़ी तो उनमें डॉक्टर और पुलिस वाले शामिल हैं. पुलिस और डॉक्टरी पेशा से जुड़े लोगों ने लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए अपनी जान लगा दी है. कुछ ऐसे ही हैं रांची के लालपुर थाना प्रभारी अरविंद कुमार सिंह की जो लॉकडाउन लागू होने के बाद अब तक घर नहीं गए, जबकि उनका घर उनके थाने से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर है.
कोरोना वॉरियर अरविंद सिंह 1994 दारोगा बैच के पुलिस अधिकारी अरविंद सिंह रांची के लालपुर थाना इंचार्ज सह इंस्पेक्टर हैं. जब से लॉकडाउन की अवधि शुरू हुई है तब से रांची में सबसे अधिक चर्चा में अरविंद सिंह हैं. 24 घंटा तक ड्यूटी करने वाले अरविंद सिंह बताते हैं कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है उन्होंने अपने पत्नी और बच्चों का मुंह नहीं देखा है. वे और उनकी टीम लगातार राजधानी रांची के लालपुर इलाके में सक्रिय हैं.
दरअसल, रांची का लालपुर इलाका सबसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में शुमार है. ऐसे में यहां लोगों की काफी भीड़ उमड़ती है. लॉकडाउन के बावजूद कई लोग ऐसे भी हैं, जो बेवजह सड़कों पर घूमते नजर आते हैं. उन्हें अरविंद कुमार सिंह लगातार अपनी टीम के माध्यम से यह समझाने में लगे रहते हैं कि कोरोना एक नया वायरस है, जो सीधे जान ले लेता है. इससे बचाव का एकमात्र तरीका घर में रहना है और सोशल डिस्टेंस को मेंटेन करना है.
गरीबों को खाना खिलाने में भी सबसे आगे
अरविंद सिंह और उनकी टीम लॉकडाउन के दौरान वैसे लोगों के मदद के लिए भी सबसे पहले आगे आए जिनके पास रोजगार छिन जाने की वजह से भूखे सोने की नौबत आ गई थी. ऐसे में अरविंद कुमार सिंह ने कुछ सोशल वर्कर के साथ मिलकर सबसे पहले राजधानी रांची में गरीब लोगों को खाना देना शुरू किया. उनकी जीप में हमेशा खाने का पैकेट पर्याप्त मात्रा में रहता है, जहां कभी कोई गरीब जिसे खाना नहीं मिल रहा हो वह दिखता है तुरंत उसे खाना मुहैया करवाया जाता है.
कड़ाई के लिए भी जाने जाते हैं अरविंद
लॉकडाउन के दौरान वैसे लोग जो बेवजह सड़कों पर घूमते नजर आ रहे थे. उनको सबसे पहले एक घंटे की फिल्म जो कोरोना वायरस से जुड़ी हुई थी को दिखाने का काम भी अरविंद कुमार सिंह ने ही किया था. अरविंद कहते हैं कि वे लोग अपने परिवार से दूर इसलिए हैं ताकि आम लोग सुरक्षित रह सकें. अगर लोग सोशल डिस्टेंस को मेंटेन करते हैं तो कोरोना वायरस से छुटकारा पाया जा सकता है.
परिवार की याद आती है तो फोन से करते हैं बात
अरविंद कुमार सिंह के दो बच्चे हैं, जो रांची के अरगोड़ा इलाके में रहते हैं. उनकी पत्नी और दोनों बच्चे यह चाहते हैं कि अरविंद हर दिन की तरह एक बार कम से कम घर जरूर आएं, लेकिन अरविंद यह जानते हैं कि वह जिस क्षेत्र में काम कर रहे हैं. उसमें दिन भर तरह-तरह के लोगों से उनकी मुलाकात होती है. ऐसे में संक्रमण का खतरा उन पर सबसे ज्यादा होता है. वह अपने परिवार को सुरक्षित रखना चाहते हैं. यही वजह है कि वे घर भी नहीं जाते हैं.
पिछले 10 दिनों से थाना में ही वे रह रहे हैं. उनकी टीम भी लगातार उनके साथ थाना में ही निवास कर रही है और वहीं पर वे सबके साथ मिलकर सोशल डिस्टेंस को मेंटेन करते हुए एक साथ भोजन भी करते हैं. अरविंद बताते हैं कि जब कभी बच्चों की याद आती है तो काम से थोड़ा समय निकाल कर उनसे फोन पर बात कर लेते हैं जिससे उन्हें काफी राहत मिलती है.
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टीम मेंबर भी काफी सहयोगी
अरविंद कुमार सिंह के टीम में 2012 बैच के तेजतर्रार दरोगा भी शामिल है. उन्हीं में से एक है राहुल, राहुल की पहली पोस्टिंग लालपुर थाने में ही हुई है. पोस्टिंग होते ही सबसे पहला मुकाबला कोरोना वायरस से ही हो गया. राहुल का परिवार राजधानी रांची से बाहर रहता है. उनकी मां को अक्सर अपने बेटी की चिंता सताती रहती है और वह फोन पर अपने बेटे को यह समझाते रहती हैं कि वह भी अपने आप को सुरक्षित रखें. वहीं, राहुल कहते हैं कि पुलिस की वर्दी पहनने के बाद ड्यूटी ही उनका पहला प्यार है. वे अपनी टीम के साथ लगातार अपना पूरा समय सड़कों पर ही बिता रहे हैं ताकि लोगों को कोरोना वायरस जैसे बड़े खतरे से बचा जा सके.