रांची: ऐसे तो राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग कोरोना के मरीजों के बेहतर इलाज के लिए लगातार दावे कर रही है. राज्य के सभी अस्पतालों को सख्त दिशा-निर्देश भी दे रहे हैं, ताकि कोरोना के मरीजों का समुचित इलाज हो. स्वास्थ विभाग ने पिछले दिनों यह निर्देश दिया था कि सभी निजी अस्पताल कोरोना के पॉजिटिव मरीज का इलाज करेंगे और अगर पॉजिटिव मरीज को किसी अन्य बीमारी की समस्या है तो उसका भी समुचित इलाज होगा. पिछले दिनों राजधानी के पिस्का मोड़ के 50 साल के एक कोरोना पॉजिटिव मरीज के साथ राजधानी के निजी अस्पतालों और सरकारी अस्पतालों का अमानवीय चेहरा नजर आया.
मरीज को एडमिट करने से किया इनकार
दरअसल बुधवार को पिस्का मोड़ के एक शख्स को अचानक सांस लेने में समस्या आने लगी. इसके बाद उसे रातू के देवकमल अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उसे कोरोना जांच कराने के नाम पर एडमिट करने से मना कर दिया. उसके बाद मरीज के परिजन गुरुनानक अस्पताल ले गए. वहां पर अस्पताल प्रबंधन ने मरीज की कोरोना जांच की जो कि पॉजिटिव पाया गया. पॉजिटिव आने के बाद गुरुनानक अस्पताल ने मरीज को एडमिट करने से इनकार कर दिया.
लापरवाही के कारण मरीज की मौत
मरीज के परिजन परेशान होकर धुर्वा स्थित पारस अस्पताल पहुंचे. जहां पर इलाज के दौरान बुधवार की रात मरीज की जान चली गई. मरीज के परिजनों ने बताया कि धुर्वा के पारस अस्पताल में डॉक्टरों ने ऑक्सीजन सिलिंडर अचानक ही खोल दिया. जिससे मरीज की मौत हो गई. मौत के बाद पारस अस्पताल वालों ने मरीज के शव को रिम्स अस्पताल भेज दिया. वहां से एंबुलेंस नहीं मिलने पर निजी गाड़ी में मरीज के शव को रिम्स ले जाया गया. यहां पर भी सरकारी कुव्य्वस्था का आलम देखने को मिला.