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2021 में कोरोना ने दिखाया वीभत्स रूप, पूरे प्रदेश में दिखा मौत का मंजर - झारखंड में डेल्टा वेरिएंट

2020 में शुरू हुए कोरोना महामारी में 2021 में अपना वीभत्स रूप दिखाया. 2021 के अप्रैल महीने में पूरे झारखंड में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने पैर पसारा और सैकड़ों लोगों की जान ले ली. जानिए 2021 में कैसा रहा कोरोना से प्रदेश का हाल.

Corona epidemic caused havoc in Jharkhand
Corona epidemic caused havoc in Jharkhand

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Published : Jan 2, 2022, 7:04 AM IST

रांची: 2020 के मार्च महीने में झारखंड में कोरोना (Corona In Jharkhand) ने दस्तक दिया था. लॉकडाउन के बीच कोरोना गाइडलाइन का पालन, 3T यानी ट्रेसिंग, टेस्टिंग और ट्रीटमेंट के साथ करीब एक वर्ष गुजर गए. 2021 में ऐसा लगने लगा था कि झारखंड में कोरोना (Corona In Jharkhand) खत्म हो रहा है और उसके विकराल होने से पहले ही उसपर विजय पा ली गई है. लेकिन अप्रैल 2021 में झारखंड में डेल्टा वेरिएंट (Delta Variants in Jharkhand) ने तबाही मचानी शुरू कर दी. अस्पतालों के बाहर रूह कंपा देने वाला का मंजर दिखाई देने लगा. हर तरफ चीख पुकार मच गई. अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में लोग अस्पताल के बेड और ऑक्सीजन के लिए भागते दिखे. कई लोगों ने ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ दिया. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में अब तक 5142 लोगों की मौत कोरोना से हुई है. जिसमें चार हजार से अधिक मौतें 2021 में ही हुए.



रिम्स में मरीजों को देखने वाले जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ विकास सिंह भी उन दिनों को याद कर भावुक हो जाते हैं. वे कहते हैं कि भगवान वैसे दिन फिर कभी न दिखाए. उन्होंने कहा कि उस वक्त हालत ये था कि अस्पताल में बेड कम पड़ गए थे और घंटों एंबुलेंस में ही मरीज पड़े रहते थे. कई बार मरीज की मौत एंबुलेंस में ही हो गई. कोरोना काल में अपने डॉक्टर पिता को खोने वाली बेटी सुकृति के आंखों के आंसू अभी तक सूखे नहीं हैं. वे कहती हैं कि उसने पूरी कोशिश की अपने पिता के जीवन को बचाने की पर सरकार और तंत्र की ओर से कोई पूछने तक नहीं आया. वह सवाल करती हैं कि क्या यही दायित्व होता है सरकार का एक डॉक्टर के प्रति?

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वहीं, झासा के प्रदेश सचिव डॉ बिमलेश सिंह जो खुद मरीजों का इलाज करते करते परिवार के साथ कोरोना से संक्रमित हो गए थे वह कहते हैं कि 2021 को कोई याद करना नहीं चाहेगा. क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर के चलते कई संक्रमित तो अस्पताल आने से पहले ही दम तोड़ देते थे. इसी तरह रिम्स कोरोना टास्क फोर्स के संयोजक डॉ प्रभात कुमार कहते हैं कि शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने इस साल अपने किसी जानने वाले को नहीं खोया हो.


2021 खराब सपने जैसा
2021 स्वास्थ्य को लेकर एक खराब सपने जैसा भले ही हो पर यह भी सच्चाई है कि यह वर्ष हमें सबक देकर जा रहा है कि कैसे हमने अपने सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी स्वास्थ्य को भगवान भरोसे छोड़ रखा था. सरकार की प्राथमिकता में अस्पताल और इलाज की बेहतर व्यवस्था की जगह लोक लुभावन योजनाएं अधिक थीं. अस्पताल में बेड, ऑक्सीजन, वेंटीलेटर्स की कभी जरूरत की वस्तु ही नहीं समझा गया. वर्ष 2021 खुद पर बदनामी लेकर इस उम्मीद के साथ विदा ले रहा है कि वर्ष 2022 स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर वर्ष साबित होगा. क्योंकि सरकार ने हर जिले में PSA प्लांट, जांच लैब, वैक्सीनेशन, ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड और डॉक्टर-नर्सो की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया है.

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