रांची: राजधानी रांची सहित पूरे देश भर में ही रामनवमी धूमधाम से मनाई जाती है. शहर के चारों दिशा में महावीर बजरंगबली का झंडा हवा में लहराता दिखता है. लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण रामनवमी त्योहार धूमधाम के साथ नहीं मनाया जा रहा है. श्री महावीर मंडल रांची का 100 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि रांची की सड़कों में राम भक्तों की जुलूस नहीं निकलेगी.
महीवीर का लगा पताका
इस बार भगवान श्रीराम अपने भक्तों के धैर्य की परीक्षा भी ले रहे हैं. क्योंकि मर्यादा पुरुषोत्तम राम धैर्य पराक्रम वचन और आदर्शों के लिए जाने जाते हैं. एतिहातन बरतते हुए लोग अपने घर की छतों में विधि विधान के साथ पूजा कर महावीर वीर बजरंगी का पताका लगा रहे हैं.
ये भी पढ़ें-संजय सेठ ने झारखंडवासियों को रामनवमी की दी शुभकामनाएं, कहा- श्रीराम कोरोना से दिलाएं मुक्ति
विधि विधान के साथ पूजा
राजधानी रांची का बरसों से इतिहास रहा है कि विभिन्न अखाड़ा के राम भक्त शोभायात्रा में जुलूस के साथ शामिल होकर तपोवन मंदिर जाते हैं. जहां पर पूजा अर्चना के बाद शहीद चौक पर अस्त्र-शस्त्र के साथ अपनी शक्ति प्रदर्शन करते थे. लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है. तपोवन मंदिर के पुजारी की माने तो इस वैश्विक महामारी के कारण मंदिर को बंद कर दिया गया है. मंदिर के अंदर ही विधि विधान के साथ पूजा की जा रही है.
ये भी पढ़ें-कोरोना संकट: बेलगड़िया टाउनशिप का निर्माण कार्य जारी, सरकार के आदेश की उड़ रही धज्जियां
100 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ
श्री महावीर मंडल के पूर्व अध्यक्ष राजीव रंजन मिश्र ने बताया कि 30 लाख से ज्यादा श्रद्धालु राजधानी रांची की सड़कों पर जुलूस देखने के लिए पहुंचते हैं और सबसे श्रेष्ठ झांकी प्रदर्शन करने वाले अखाड़े को सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भी दिया जाता है. अखाड़ों की बात करें तो शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से 1600 अखाड़े आते हैं. जो गाजे-बाजे जुलूस और अस्त्र-शस्त्र के साथ शामिल होते हैं. लेकिन इस बार कोरोना के कारण श्री महावीर मंडल सिर्फ सांकेतिक रूप से पूजा पाठ कर रही है. सड़कों पर किसी भी तरह की शोभायात्रा नहीं निकाली जा रही है. 100 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है.