रांची: झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. जिसके बाद से झारखंड के साथ साथ देश भर में आदिवासी समाज की चर्चा हो रही है. आदिवासियों की परंपरा और संस्कृति को को जानने के लिए लोग उत्सुक हैं. आज देश के सर्वोच्च पद पर एक आदिवासी महिला की दावेदारी की बात हो रही है. लेकिन एक कड़वी सच्चाई यह भी है कि आदिवासी समाज आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद कर रहा है. अपनी सभ्यता, संस्कृति को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है.
आदिवासियों की सबसे बड़ी समस्या है धर्मांतरण. झारखंड सहित पूरे देश में धर्मांतरण के मामले देखने को मिलते हैं. झारखंड की बात करें तो रांची, दुमका, जमशेदपुर और लोहरदगा जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कई ऐसे आदिवासी हैं, जिन्होंने धर्मांतरण कर ईसाई धर्म को अपनाने का काम किया.
धर्मांतरण को लेकर भारत मुंडा समाज के महासचिव और झारखंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी बृजेन्द्र हेंब्रम बताते हैं कि झारखंड में धर्मांतरण के मामले देखने को जरूर मिल रहे हैं, पिछले कुछ वर्षों की बात करें तो करीब आठ से दस परसेंट आदिवासियों का धर्मांतरण हुआ है जो सरना धर्म से ईसाई धर्म में तब्दील हुए हैं. उन्होंने बताया कि जो भी परिवार अब तक सरना धर्म से ईसाई धर्म में तब्दील हुए हैं वह भले ही ईसाई धर्म को अपना लिए हो लेकिन वह आज भी आदिवासी संस्कृति और परंपरा को मानते हैं. बृजेंद्र हेंब्रम बताते हैं झारखंड के मूल आदिवासी यदि ईसाई धर्म में तब्दील होते हैं तो इसका मुख्य कारण उनकी गरीबी और साक्षरता की कमी एक बहुत बड़ा कारण है.
वहीं आदिवासी समाज के लिए वर्षो से काम कर रहे हैं अरविंद उरांव बताते हैं कि 2011 की जनगणना को देखें तो पूरे देश में 800 प्रकार के जनजाति समुदाय के लोग रहते हैं. झारखंड की बात करें तो झारखंड में भी आदिवासी समुदाय के विभिन्न प्रकार के लोग जंगलों और पहाड़ों के बीच में रह रहे हैं. झारखंड में फिलहाल करीब 90 लाख आदिवासी समुदाय के लोग विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं.
जिसमें संथाल समुदाय सबसे बड़ा समुदाय माना जाता है. जिनकी संख्या पूरे झारखंड में करीब 30 लाख है. संथाल समुदाय के बाद उरांव समुदाय के लोग झारखंड में सबसे ज्यादा वास करते हैं. जिनकी संख्या करीब 20 लाख है. आदिवासियों के मुंडा समुदाय की बात करें तो पूरे झारखंड में मुंडा समाज के लोगों की संख्या करीब 14 लाख है. इसके अलावा कोल्हान क्षेत्र में रहने वाले हो जनजाति की भी संख्या करीब 9 लाख है.