रांचीः होटल अशोक यानी अशोक विहार होटल पर झारखंड सरकार मालिकाना हक जताती रही है. नवंबर 2020 में झारखंड सरकार ने इस होटल के 51 फीसद शेयर भारत पर्यटन विकास निगम यानी आइटीडीसी से 6 करोड़ का भुगतान कर मालिकाना हक ले लिया था और बिहार से भी झारखंड को इस होटल का स्वामित्व देने की मांग होने लगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पहल पर बिहार से अब तक कई दौर की हुई वार्ता निष्फल साबित हुई है. बिहार सरकार झारखंड सरकार के ऑफर को अब तक अनुसूनी करती रही है.
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जंगल-झाड़ में तब्दील रांची का होटल अशोक अपने गौरवशाली अतीत को याद कर रो यहा है. संयुक्त बिहार के समय 1985 में स्थापित यह होटल अपने समय का सर्वश्रेष्ठ होटल में से एक था. राजनेता से लेकर सभी वीआईपी का ठहराव इसी होटल में होते थे. बिहार, झारखंड और भारत पर्यटन विकास निगम यानी आईटीडीसी के संयुक्त साझेदारी से चलनेवाला यह होटल लगातार घाटे में होने के चलते 2018 आते आते पूरी तरह से बंद हो गया. राजधानी रांची के बीचोबीच करीब 2.70 एकड़ में बने इस आलिशान होटल में ठहरने के कमरे से लेकर कन्फ्रेस हॉल तक बने हुए हैं.
स्वामित्व को लेकर बिहार से विवादः झारखंड सरकार ने बिहार को आईटीडीसी के साथ हुए एमओयू का हवाला देते हुए इसी आधार पर शेयर के हिसाब से राशि भुगतान करने का ऑफर दिया है. वर्तमान में आइटीडीसी से 51 फीसद शेयर खरीदने से झारखंड सरकार का शेयर 63.25 फीसद हो गया है जबकि बिहार का वर्तमान में 36.75 फीसदी शेयर है. गौरतलब है कि राज्य गठन के पहले आइटीडीसी का 51 प्रतिशत और बिहार का 49 फीसद शेयर इसमें था. लेकिन झारखंड राज्य बनने के बाद बिहार के 49 प्रतिशत शेयर में 12.25 फीसद शेयर झारखंड को दे दिया गया था.
मालिकाना हक पर सभी राजनीतिक दल एकजुटः होटल अशोक को लेकर सभी राजनीतिक दल एकजुट हैं. बिहार द्वारा अड़चन पैदा किए जाने पर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा है कि झारखंड का वाजिब हक मिलना चाहिए. उन्होंने कहा है कि दिल्ली में दो-दो बिहार भवन में झारखंड को कोई हिस्सेदारी नहीं दी गयी. बिहार को बड़ा भाई की भूमिका निभाते हुए बड़ा दिल दिखाना चाहिए. वहीं पूर्व स्पीकर और भाजपा विधायक सीपी सिंह ने होटल अशोक पर झारखंड का वाजिब हक होने की बात कहते हुए कहा कि बिहार को रोड़ा नहीं अटकाना चाहिए. उन्होंने झारखंड सरकार से बिहार को मालिकाना हक लेने के एवज में एक भी पैसा नहीं देने का आग्रह किया है.
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सामाजिक राजनीतिक चिंतक केके गिरी ने भी बिहार से होटल अशोक का शेयर झारखंड को देकर बड़ा दिल दिखाने का आग्रह किया है. केके गिरी ने कहा कि लंबे समय से यह होटल बंद है और सरकार को भारी भरकम राजस्व इसके माध्यम से प्राप्त होते थे. पर्यटन के लिहाज से प्रकृति ने झारखंड पर असीम कृपा की है. लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद झारखंड के पर्यटन को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान नहीं मिल पा रही है. इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है राजधानी स्तर पर एक अच्छे होटल का होना. किसी जमाने में रांची में सरकारी स्तर पर संचालित अशोका होटल गौरव हुआ करता था. लेकिन यह होटल बंद पड़ा है. हेमंत सरकार के प्रोजेक्ट में गाहे-बगाहे अड़चन डालने का काम बिहार की नीतीश सरकार कर रही है जिसके कारण होटल पर पूर्ण स्वामित्व के लिए आज भी झारखंड सरकार मशक्कत कर रही है.