रांची: सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड का पहला दीक्षांत समारोह यादगार बनने के बजाय विवाद का एक बड़ा कारण बन गया. कार्यक्रम की शुरुआत तो बहुत सलीके से हुई. राष्ट्रपति पहुंचे और 96 में से 11 गोल्ड मेडलिस्ट को अपने हाथों से मेडल भी दिया, लेकिन अपने वीसी या यूनिवर्सिटी प्रबंधन के हाथ और डिग्री लेने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से आए छात्रों ने तब आपा खो दिया जब राष्ट्रपति के जाते ही कार्यक्रम का समापन हो गया. छात्र छात्राओं ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और हंगामा किया.
अभिभावक भी इस बात को लेकर नाराज थे कि आखिर क्यों उनके बच्चों को डिग्री देने के लिए बुलाया गया था. छात्रों का आरोप था कि राष्ट्रपति के जाने के बाद कार्यक्रम का संचालन होना था और उसी दौरान शेष छात्र-छात्राओं को डिग्रियां देनी थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. खास बात है कि राष्ट्रपति का जब संबोधन संपन्न हुआ और जब वो राजभवन के लिए निकलने लगे उसी वक्त मंच से इस बात की घोषणा की गई थी कि 10 मिनट के बाद शेष छात्र-छात्राओं को डिग्रियां दी जाएंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. लिहाजा जिस कार्यक्रम को सेंट्रल यूनिवर्सिटी प्रबंधन राष्ट्रपति के आगमन के साथ यादगार बनाने की कोशिश में था, वह कार्यक्रम विवाद का एक बड़ा कारण बन गया.