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झारखंड कांग्रेस का सदस्यता अभियान पड़ा सुस्त, पार्टी के बड़े नेता गंभीर नहीं - झारखंड कांग्रेस का सदस्यता अभियान की खबर

कोरोना महामारी के कारण झारखंड कांग्रेस का सदस्यता अभियान सुस्त पड़ गया है. इस अभियान को फरवरी 2020 में ही लॉन्च किया गया था, लेकिन सत्ता में शामिल होने का फायदा नहीं मिल पा रहा है.

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कांग्रेस की बैठक

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Published : Jan 2, 2021, 1:59 PM IST

रांची: झारखंड कांग्रेस का सदस्यता अभियान ठंडे बस्ते में चला गया है. पार्टी के अनुसार कभी कोरोना महामारी तो कभी विधानसभा उपचुनाव की वजह से सदस्यता अभियान धीमा पड़ गया है, जिससे संगठन धारदार नहीं हो पा रहा है. पिछले बार साल 2015 से 18 तक लगभग साढ़े 5 लाख नए सदस्य बनाए गए थे. इस कार्यकाल में ज्यादा लक्ष्य रखा गया था लेकिन सदस्यता अभियान पर ही फुलस्टॉप लग गया है.

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2020 में किया गया था सदस्यता अभियान को लॉन्च
साल 2020 के 12 फरवरी से बड़े तामझाम के साथ सदस्यता अभियान को लॉन्च किया गया था. पार्टी को उम्मीद थी कि झारखंड कांग्रेस के सत्ता में रहने का फायदा सदस्यता अभियान को मिलेगा और बड़ी संख्या में लोग कांग्रेस का हाथ थामेंगे, लेकिन कहीं ना कहीं कोरोना महामारी ने इस अभियान पर ब्रेक लगा दिया. वैसे भी पार्टी की ओर से सदस्यता अभियान के प्रति गम्भीरता नहीं दिखाई जा रही है. इस मामले में पार्टी बहुत पिछड़ी हुई है. हालांकि कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शमशेर आलम ने कहा कि पार्टी के आला नेता सदस्यता अभियान को लेकर गंभीर हैं और जल्दी अभियान की शुरुआत की जाएगी.

सदस्यता अभियान में युवाओं को लेकर फोकस
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रामेश्वर उरांव की ओर से सदस्यता अभियान में युवाओं पर ज्यादा फोकस करने की बात कही गई थी, लेकिन सदस्यता अभियान बंद होने की वजह से संगठन में युवाओं का जुड़ाव भी नहीं हो रहा है. कहीं ना कहीं पार्टी नेता भी यह मानते हैं कि सदस्यता अभियान पर गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है.

हालांकि प्रदेश यूथ कांग्रेस के महासचिव उज्जवल तिवारी का कहना है कि कांग्रेस के निर्देश के तहत बढ़-चढ़कर सदस्यता अभियान चलाया जाएगा. यूथ कांग्रेस की ओर से पूरे साल भर सदस्यता अभियान चलाया जाता रहा है. वहीं प्रखंड स्तर तक जनवरी में कमेटी भी बन जाएगी और सदस्यता अभियान भी साथ-साथ चलेगा.

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ऐसे में संगठन प्रभारी को सदस्यता अभियान में चुस्त और दुरुस्त होने की जरूरत है, ताकि संगठन सदस्यता अभियान के जरिए मजबूत हो सके. कहीं न कहीं पिछली बार भी सदस्यता अभियान में कांग्रेस सुस्त थी और इस बार फिसड्डी साबित साबित हो रही है, जबकि कांग्रेस पार्टी सत्ता में शामिल हैं.

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