रांचीः झारखंड की राज्यपाल रह चुकीं देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेकर कांग्रेस की ओर से एक बार फिर विवादित टिप्पणी की गई है. इस बार कांग्रेस नेता उदित राज ने अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल किया (Congress leader controversial statement)है. उनके इस बयान से झारखंड की राजनीति गरमा गई है.
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बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि इस बयान से कांग्रेस की ट्राइबल विरोधी मानसिकता दिख रही है. कांग्रेस के लोग देश को शर्मसार करने वाला बयान दे रहे हैं. एक आदिवासी समाज की महिला को देश के सर्वोच्च पद पर स्थापित करने के लिए भाजपा ने पहल की थी. यह बात कांग्रेसियों को नहीं पच रही है. पूर्व में कांग्रेस नेता अजय कुमार ने भी उनके खिलाफ विवादित बयान दिया था. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि इस अमर्यादित बयान के लिए उदित राज को देश से फौरन माफी मांगना चाहिए. ऐसे नेता को कांग्रेस को पार्टी से निकाल देना चाहिए.
इस विवादित टिप्पणी पर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने सख्त आपत्ति जाहिर की है. उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि पढ़े लिखे व्यक्ति की देश के सर्वोच्च पद पर बैठीं संताल-आदिवासी महिला के बारे में ऐसी टिप्पणी आपकी घटिया मानसिकता का परिचय है. आदिवासी समाज और राष्ट्र का अपमान है ये. हम इसकी घोर निंदा करते हैं. कांग्रेस इसके लिए बिना विलंब माफी मांगे.
इस गंभीर मसले पर प्रतिक्रिया के लिए प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा से संपर्क करने की कोशिश की गई. लेकिन दोनों का फोन स्वीच ऑफ था. इस मसले पर कांग्रेस प्रवक्ता मो. तौसीफ और कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय सिंह से भी संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन दोनों नेताओं ने फोन नहीं रिसीव किया.
झामुमो नेता मनोज पांडेय ने कहा कि राष्ट्रपति एक व्यक्ति नहीं होता है. एक पद नहीं होता है बल्कि संवैधानिक संस्था होता है. सबसे खास बात तो यह कि वह आदिवासी समाज से आती हैं. उनके खिलाफ दिया गया बयान अशोभनीय है. ऐसे बयान से कांग्रेस की छवि धूमिल होती है. उदित राज को खेद प्रकट करना चाहिए.
आपको बता दें कि राष्ट्रपति पद के चुनाव के वक्त कांग्रेस के साथ सरकार चलाने के बावजूद झामुमो ने उनका समर्थन किया था. तब गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े हुए थे. लेकिन कांग्रेस ने चुप्पी साध ली थी. इसी साल जुलाई माह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिल्ली में राष्ट्रपति से शिष्टाचार मुलाकात कर झारखंड में उनके द्वारा किए गये कार्यों की सराहना की थी. हालाकि आदिवासी दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति की ओर से शुभकामना संदेश नहीं मिलने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पीड़ा जाहिर की थी.