रांची: राज्य गठन से लेकर अब तक 2014 के विधानसभा चुनाव को राजनीतिक दृष्टिकोण से प्रदेश के लिए एक यू-टर्न के रूप में देखा जाता है. दरअसल पहली बार इस चुनाव के बाद प्रदेश में एक दल को बहुमत वाली सरकार चलाने का मौका मिला. इसके साथ ही मुख्यमंत्री रघुवर दास पहले मुख्यमंत्री हुए जिन्हें अपना कार्यकाल पूरा करने का मौका मिला.
सरकार ने गढ़े कई नए आयाम
इस चुनाव में बीजेपी ने अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में साफ तौर पर भ्रष्टाचार मिटाने, युवाओं के लिए नई योजना की शुरुआत करने, रोजगार के सृजन, कृषि और ग्रामीण विकास को लेकर कदम उठाने के साथ ही प्रदेश में अनुसूचित जनजाति, जाति और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए पहल करने जैसे बिंदु शामिल किए थे. इन मुद्दों को लेकर बीजेपी ने 2014 का विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी ने सरकार बनाई लगभग 5 साल तक इन मुद्दों पर कथित तौर पर सरकार काम करती रही. पार्टी के नेता साफ तौर पर करते हैं कि इन 5 सालों में एक तरफ जहां रोजगार के बड़े मौके का सृजन हुआ वहीं औद्योगिक विकास के नए आयाम गढ़े गए.
कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि 2014 में बीजेपी को झारखंड बीमारू राज्य के रूप में मिला. लेकिन पिछले 5 साल में जिस तरह से औद्योगिक विकास हुआ है वह अपने आप में एक महत्वपूर्ण मिसाल है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा अनुसूचित जनजाति जाति युवतियों और अन्य लोगों के लिए काफी काम किए गए. वहीं झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि ऐसा कोई काम नहीं हुआ है जिसकी वजह से बीजेपी अपनी पीठ थपथपाए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने 24 घंटे बिजली देने का वादा किया था लेकिन हकीकत इससे इतर है. उन्होंने कहा कि इसी तरह रोजगार और अन्य मुद्दों पर भी राज्य सरकार सवालों के घेरे में है.
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सरकार ने थपथपाई अपनी पीठ
सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य सरकार ने प्रदेश की सरकार टेंडर प्रणाली में ई-टेंडर की शुरुआत की. इसके साथ ही राज्य की औद्योगिक नीति 2016 में बनाई गई, वहीं झारखंड विशेष न्यायालय अधिनियम 2016 की स्थापना की गई. इसके साथ ही राज्य में लोकायुक्त ने भी काम करना शुरू किया. जबकि एंप्लॉयमेंट का सेक्टर में 18,000 ने टीचर की नियुक्ति की गई. गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए योजनाएं शुरू की गई. अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए सिविल सर्विसेज की तैयारी मद में 1 लाख रुपये देने की घोषणा की गई. महिलाओं की उज्ज्वला योजना को लेकर भी सरकार की पीठ थपथपाई गई.