रांची: झारखंड में पलायन एक बड़ी समस्या है. हर वर्ष लेह लद्दाख जैसे दुर्गम क्षेत्र से लेकर खाड़ी देशों तक झारखंड से मजदूरों का पलायन. इस समस्या को अवसर में बदलकर कैसे सुरक्षित और जवाबदेह पलायन हो इस पर राज्य सरकार ने पहल शुरू कर दी है. अब झारखंड सरकार मजदूरों के पलायन को अवसर में बदलेगी.
झारखंड सरकार ने सुरक्षित और जवाबदेह माइग्रेशन करने के दिशा में बड़ा कदम उठाया है. प्रोजेक्ट भवन में SAFE AND RESPONSIBLE MIGRATION INITIATIVE यानी SRMI का शुभारंभ सीएम हेमंत सोरेन ने किया है. फिया फाउंडेशन (FIA Foundation) और अन्य गैर सरकारी संगठन के सहयोग से श्रम विभाग ने 18 महीने का यह प्रोजेक्ट शुरू किया है. इसके तहत पलायन करनेवाले मजदूरों को होने वाली परेशानी को दूर करने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से समझौता कर मजदूरों का सुरक्षित पलायन सुनिश्चित किया जायेगा.
झारखंड से बड़े पैमाने पर होता है पलायन
इस अवसर पर सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि माइग्रेशन झारखंड के लिए बड़ा और बहुत ही चिंतनीय विषय है. कोरोना काल में जो दृष्य सामने आया वह बेहद ही दुखद था. झारखंड से बड़े पैमाने पर पलायन होता रहा है. ये एक स्वभाविक रूप है. मनुष्य का यह स्वभाव है जो विचरण करता रहता है लेकिन इस विषय पर ठोस व्यवस्था खड़ा करने का सरकार ने जो निर्णय किया है उसके पीछे कई कारण हैं. यहां के मजदूर पलायन करते हैं फिर घर वापस आ जाते हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यहां के मजदूर गल्फ कंट्री में भी पलायन करते हैं. वहां कैसे राज्य सरकार पहल करेगी इस पर भी विचार करना पड़ेगा. मजदूरों के साथ होने वाली घटना को भी रोकना होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के किसी भी राज्य में मजदूरों की मौत होने पर वहां से राज्य सरकार झारखंड लाने का काम करेगी और अंत्येष्टि में होने वाले खर्च का भी वहन करेगी.
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पिछली सरकारों ने नहीं किया काम
इस मौके पर श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने संबोधित करते हुए कहा कि कोविड के समय में दूसरे राज्य में काम करने वाले झारखंड के मजदूरों की संख्या का कोई आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. पूर्ववर्ती सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया था. राज्य सरकार ने इनको सुरक्षित घर वापसी कराने के लिए बेहतरीन कार्य किया है. अब परिस्थिति सामान्य हो रही है. सरकार रोजगार मेला के जरिए बड़े पैमाने पर नियुक्ति कर रही है.
सेफ माइग्रेशन को सरकार करेगी प्रोत्साहित
मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने कहा कि माइग्रेशन को निगेटिव नहीं पॉजिटिव रूप में माना जाना चाहिए. हमारी सरकार माइग्रेशन के खिलाफ नहीं है. बेहतरी के लिए सरकार माइग्रेशन को प्रोत्साहित करती रही है. हाल के दिनों में सरकार ने कई कार्य किए हैं. कोविड लॉकडाउन के समय इसका विभत्स रूप भी देखने को मिला जिसे देखकर मुख्यमंत्री काफी दुखी हुए थे. इंटर स्टेट माइग्रेशन को उत्तरदायी और सुरक्षित बनाना होगा. इसके लिए राज्य सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदम मील का पत्थर साबित होंगे. श्रम सचिव प्रवीण टोप्पो ने स्वागत भाषण के दौरान कहा कि इसके माध्यम से लद्दाख और केरल से एग्रीमेंट होगा इसके अलावा अन्य राज्यों के साथ पहल की जायेगी. 18 महीने का प्रोजेक्ट है. तीन एनजीओ मिलकर राज्य सरकार के सहयोग से काम करेगा. लॉकडाउन के समय 8 लाख मजदूर झारखंड आये थे जिसमें 2 लाख 63 हजार मजदूरों को डीबीटी के माध्यम से सहायता राशि दी गई थी. सरकार श्रमिकों के साथ खड़ी है और सुरक्षित पलायन को निगेटिव नहीं माना जाना चाहिए. हाल ही में लेह गई श्रम विभाग की टीम ने वहां सर्वे किया जहां पता चला कि झारखंड के मजदूरों को काफी पसंद किया जाता है.
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ऐसे काम करेगा SRMI
इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत दुमका, गुमला और चाईबासा के मजदूरों के पलायन को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. इन तीन जिलों से दिल्ली, केरल और लेह-लद्दाख में गए मजदूरों का डाटा बेस तैयार किया जाएगा. फिर संबंधित राज्यों से समन्वय स्थापित कर मजदूरों के सामाजिक, आर्थिक और कानूनी हक सुनिश्चित किए जाएंगे, ताकि कोई भी कामगार उनका शोषण ना कर सके. इसके लिए रांची में टेक्निकल सपोर्ट यूनिट स्थापित की जाएगी. मजदूरों को किसी भी तरह की दिक्कत होगी तो वे सीधा संपर्क कर अपनी समस्या बता सकेंगे. पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इस व्यवस्था का दायरा बढ़ाया जाएगा.
दो सत्रों में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने श्रम विभाग द्वारा संचालित योजनाओं के लाभुकों को सहायता राशि डीबीटी के माध्यम से प्रदान किया. वहीं, कई श्रम अधीक्षकों को बेहतरीन कार्य के लिए सम्मानित किया गया.