रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को रांची के अनगड़ा प्रखंड के गांधीग्राम में स्वर्णरेखा नदी के तट पर पौधारोपण कर 72वां वन महोत्सव का शुभारंभ किया. इस मौके पर मुख्य वन संरक्षक पीके वर्मा ने सीएम हेमंत सोरेन का स्वागत करते हुए रुद्राक्ष का पेड़ भेंट की. रांची से करीब 40 किलोमीटर दूर आयोजित इस वन महोत्सव में सीएम ने पौधा लगाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाने की अपील की.
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70 लाख फलदार वृक्ष लगाने का लक्ष्य
वन महोत्सव के जरिए वन विभाग राज्यभर में एक करोड़ 70 लाख फलदार वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा गया है. वन महोत्सव के शुभारंभ के मौके पर राज्यभर में पांच लाख पेड़ लगाया जा रहा है. इस साल वन विभाग की ओर से पूरे प्रदेश में पौने दो करोड़ पौधे लगाए जा रहे हैं. वन भूमि के अलावा, नदी तट और सड़कों के किनारे बड़े पैमाने पर पौधे लगाएं जाएंगे. वन मुख्यालय की ओर से सभी जिलों के डीएफओ को इस संदर्भ में पूर्व में ही आदेश दिया जा चुका था.
इसमें यह भी स्पष्ट किया गया था कि वन महोत्सव के हर छोटे-बड़े आयोजन में जनप्रतिनिधि की उपस्थिति अवश्य दर्ज की जाए. निजी भूमि पर पौधे लगाने के लिए भी राज्य सरकार लोगों को प्रेरित कर रही है. इस वन महोत्सव में राज्यसभा सांसद धीरज साहू, कांग्रेस विधायक राजेश कच्छप के समेत कई लोग उपस्थित रहे.
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रांची से करीब 40 किलोमीटर दूर आयोजित इस वन महोत्सव में सीएम ने पेड़ लगाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के लिए पेड़ लगाने की अपील की. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वनों को संरक्षित करने का यह दिवस है. हमारे राज्य के नाम में ही जल, जंगल की झलक है. यही वजह है कि इस राज्य का नाम झारखंड रखा गया है.
सीएम ने अपने संबोधन में कहा कि आज के दिन में यह चिंता का विषय है कि जैसे-जैसे विकास की सीढ़ी हम चढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे हम विनाश को भी न्यौता दे रहे हैं. क्रंकीट का जंगल हमारे लिए विनाश का कारण बनेगा, अगर हम आज नहीं चेते तो महामारी से बचा नहीं जा सकता है. ग्लोबल वार्मिंग से दुनियां परेशान है, आज प्रकृति से छेड़छाड़ भारी पड़ सकती है, विकास के नाम पर पेड़ काटे जा रहे हैं.
रांची शहर में कई बड़े-बड़े तालाब और डैम हैं, पर सभी डैम के इर्दगिर्द आप देखेंगे इंटा पत्थर का जंगल बना रहा है, ऐसे में पानी के लिए हमें भटकना होगा. यह डैम नहीं है बल्कि प्रकृति का एक घड़ा है जो हम सबों को मिला है. इसे संरक्षित करके रखने की जरूरत है. अगर इसे संरक्षित नहीं रखेंगे तो युग की बात तो दूर कुछ वर्षों में ही ये सुख जाएंगे.
सरकार की सभी खाली जगहों में पेड़ लगाने का निर्देश दिया है. हमारी पहचान जल जंगल और जमीन से है.लकड़ी चोरी करनेवाले और करानेवाले दोनों पर्यावरण विरोधी है.हम सभी शपथ लें कि अपने अपने घरों में पेड़ लगायें.
34% वन क्षेत्र से आच्छादित झारखंड
वन महोत्सव के जरिए वन विभाग राज्यभर में एक करोड़ 70 लाख फलदार वृक्ष लगाने का लक्ष्य रखा है. वन महोत्सव के शुभारंभ के मौके पर राज्यभर में पांच लाख पेड़ लगाया जा रहा है. प्रधान वन संरक्षक पीके वर्मा ने कहा कि झारखंड 34% वन क्षेत्र से आच्छादित है जो राष्ट्रीय आंकड़े 35.4% से थोड़ा कम है.