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Martyr Nirmal Mahto Birth Anniversary: सीएम हेमंत सोरेन और गुरुजी शिबु सोरेन ने दी श्रद्धांजलि - कौन थे निर्मल महतो

रांची में शहीद निर्मल महतो की जयंती (Martyr Nirmal Mahto Birth Anniversary) पर सीएम हेमंत सोरेन और गुरुजी शिबु सोरेन ने श्रद्धा सुमन अर्पित की.

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शहीद निर्मल महतो की जयंती

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Published : Dec 25, 2021, 3:15 PM IST

Updated : Dec 25, 2021, 5:02 PM IST

रांचीः शहीद निर्मल महतो की जयंती (Martyr Nirmal Mahto Birth Anniversary) के अवसर पर जेल मोड़ स्थित शहीद निर्मल महतो चौक पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर सीएम हेमंत सोरेन ने श्रद्धांजलि दी. इसके अलावा राज्यसभा सांसद सह गुरुजी शिबु सोरेन ने श्रद्धा सुमन अर्पित की. इस मौके पर जेएमएम पार्टी पदाधिकारी और कई कार्यकर्ता मौजूद रहे.

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अलग झारखंड राज्य की अगुवाई करने वाले शहीद निर्मल महतो की आज जयंती है. 25 दिसंबर 1950 को पूर्वी सिंहभूम जिला के उलियान गांव में जन्मे निर्मल महतो सामाजिक आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वालों में से एक थे. झारखंड मुक्ति मोर्चा के कई बार अध्यक्ष रहे निर्मल महतो आजसू के गठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आज उनकी जयंती के अवसर पर राजधानी रांची समेत राज्यभर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. राजधानी के जेल चौक स्थित निर्मल महतो की प्रतिमा पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और गुरुजी शिबू सोरेन ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस मौके पर झामुमो कार्यकर्ताओं ने निर्मल महतो अमर रहे का नारा लगाते रहे. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने निर्मल दा के सपने को साकार करने की बात कही. दूसरी तरफ आजसू महानगर की ओर से जेल चौक पर अलग कार्यक्रम आयोजित कर श्रद्धासुमन अर्पित की गयी.

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कौन थे निर्मल महतो
निर्मल महतो के पिता का नाम जगबंधु महतो था और उनकी माता का नाम प्रिया महतो था. निर्मल महतो 9 भाई बहन थे जिसमें एक बहन थी. धनबाद जिला में 1 और 2 जनवरी 1983 को झारखंड मुक्ति मोर्चा का पहला केंद्रीय महाधिवेशन हुआ था. जिसमें निर्मल महतो के काम करने के तरीके से प्रभावित होकर केंद्रीय कार्यकारिणी समिती का सदस्य बनाया गया. उसके बाद बोकारो में 06 अप्रैल 1984 को झारखंड मुक्ति मोर्चा की केंद्रीय समिति की बैठक हुई थी, जिसमें समिति के सभी सदस्यों की सहमति से निर्मल महतो को अध्यक्ष बनाया गया.

निर्मल महतो का सियासी सफर

साल 1984 में निर्मल महतो रांची लोकसभा से चुनाव लड़े लेकिन हार गए. उसके बाद साल 1985 में निर्मल महतो ईचागढ़ से चुनाव लड़े लेकिन उसमें भी उनको जीत नहीं मिली. जब फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा का दूसरा केंद्रीय महाधिवेशन हुआ तो फिर से निर्मल महतो को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया. 1982 में अकाल राहत के लिए सुवर्ण रेखा नदी पर बनाए जा रहे डैम (चांडिल) से विस्थापित परिवारों को पुनर्वास एवं नौकरी समेत 21 मांगों को लेकर क्रांतिकारी छात्र युवा मोर्चा द्वारा तिरुलडीह स्थित ईचागढ़ प्रखंड कार्यालय के सामने प्रदर्शन चल रहा था. उस दौरान पुलिस ने अचानक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज और गोलियां चलाई थी जिसके कारण प्रदर्शन कर रहे दो प्रदर्शनकारी जो चांडिल कॉलेज के ही छात्र थे अजीत महतो और धनंजय महतो को गोली लगी और वहीं उसकी मृत्यु हो गई थी. यह आंदोलन निर्मल महतो के नेतृत्व में चल रहा था.

शहीद निर्मल महतो की प्रतिमा पर माल्यार्पण करे CM हेमंत सोरेन
आजसू पार्टी निर्माण में निर्मल महतो का सहयोग
अलग राज्य आंदोलन में ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़कर और भी बड़ा आंदोलन करने के लिए 1 जून साल 1986 को झारखंड मुक्ति मोर्चा की एक केंद्रीय समिति की बैठक हुई जिसके बाद उन्होंने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन यानी आजसू (AJSU) आजसू का गठन किया. इसके बाद 19, 20 और 21 अक्टूबर 1986 को जमशेदपुर अखिल झारखंड छात्र एवं एक सम्मलेन का आयोजन कर आजसू की बुनियाद को मजबूती देने की कवायद शुरू की गयी. इसके माध्यम से अलग राज्य आंदोलन को और तेज किया गया और स्कूल और कॉलेज के छात्रों को एकत्रित कर उन्हें इस आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. निर्मल महतो अपने साथ में सूरज मंडल और पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ 8 अगस्त 1987 की सुबह को जमशेदपुर के चमरिया, बिस्टुपुर स्थित टिस्को गेस्ट हाउस से बाहर निकल रहे थे. उसी समय कुछ घात लगाए लोगों ने निर्मल महतो की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
Last Updated : Dec 25, 2021, 5:02 PM IST

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