रांची: एक दिवसीय दौरे पर रांची पहुंचे चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना ने जजों की जिंदगी विषय पर आयोजित व्याख्यान में न्यायाधीशों के निजी, सामाजिक और न्यायिक जीवन पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए भावना व्यक्त की है. उन्होंने जजों की जिंदगी को चुनौती भरा बताते हुए कहा है कि वे वास्तविकताओं से मुंह नहीं मोड़ सकते.
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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया न्यायमूर्ति एनवी रमना ने झालसा के शिशु प्रोजेक्ट के तहत चिंहित ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोना के दौरान अपने माता-पिता को खो दिया उन्हें स्कॉलरशिप की राशि प्रदान की. झालसा ने करीब 180 ऐसे बच्चों को चिंहित किया है, जिनको 20 हजार से 50 हजार तक की राशि प्रति वर्ष उच्च शिक्षा के लिए प्रदान की जा रही है. यह स्कीम सीसीएल कोविड क्रायसिस के तहत 180 बच्चों के लिए करीब 95.50 लाख मुहैया कराई गई है.
इस अवसर पर सीजेआई जस्टिस एनवी रमना ने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स के साथ तश्वीर भी खिंचवाई. कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस विधायक और अधिवक्ता अंबा प्रसाद ने सीजेआई से मुलाकात कर जजों के आवास में मूलभूत समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में वे मानसून सत्र में भी सदन में उठाएंगी.
ज्यूडिशियल एकेडमी में आयोजित कार्यक्रम के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमन्ना ने संबोधित किया. जस्टिस एसबी सिन्हा मेमोरियल के उपर आयोजित व्याख्यान का विषय लाइफ ऑफ जज था. इस विषय पर जस्टिस रमना ने जजों के पारिवारिक, सामाजिक और न्यायिक जीवन पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने कहा कि न्यायालयों में लंबित मामलों को निष्पादित करने के लिए वर्तमान समय में 14 से 15 घंटे तक जज काम करते हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ रवि रंजन के स्वागत संबोधन से हुआ. कार्यक्रम में लाइफ ऑफ जज पर लिखी गई पुस्तक का विमोचन किया गया. कार्यक्रम में झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अपरेश कुमार सिंह, जस्टिस एस चंद्रशेखर, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस आर मुखोपाध्याय मौजूद रहे. कार्यक्रम का दूसरा सत्र मध्यस्थता पर टेक्निकल सत्र के रूप में आयोजित हुआ.