गिरिडीह:जिले की पुलिस भले ही अपराधियों पर कड़ी नजर रखने का दावा करती हो. लेकिन आम लोगों और आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रशासन कितनी तत्पर है, इसका अंदाजा शहर में लगे सीसीटीवी कैमरे से लगाया जा सकता है. शहर में लगे 32 सीसीटीवी कैमरों में से 15 खराब हैं. यानी महज 17 कैमरों के भरोसे ही पूरे शहर की सुरक्षा व्यवस्था है. इस हालात में शहर के लोग कितने महफूज हैं. सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.
ये भी पढ़ें- Vehicle Thief Gang: रांची में वाहन चोर गैंग की महिला सरगना गिरफ्तार, बिहार के शराब तस्करों को बेचती थी गाड़ी
खराब कैमरों से शहर की निगरानी
लगभग तीन वर्ष पूर्व लगाए गए इस कैमरे की मदद से ही जिला पुलिस पूरे शहर में अपराधों पर नजर रखती रही है. लेकिन वर्तमान में इन 32 में से अधिकांश कैमरा बंद है. ऐसे में अभी शहर की निगहबानी बंद कैमरों से ही हो रही है. इस हालात को देखते हुए सियासत भी शुरू हो गई है. जेएमएम ने आरोप लगाया है कि कैमरे की देखभाल का जिम्मा उठा रहे ऑरेंज मीडिया को फायदा पहुंचाने के लिए करार किया गया था. पार्टी ने इस करार को रद्द करने की मांग की है.
कैसे मिला था टेंडर
बता दें कि साल 2018 में ऑरेंज मीडिया को पुलिस महानिरीक्षक (प्रोविजन) व उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त के पत्र के आधार पर शहर के यूनिपोल पर निशुल्क सीसीटीवी कैमरा लगाने और देखभाल की अनुमति तत्कालीन नगर आयुक्त ने दी थी. इस कार्य के एवज में यूनिपोल के फ्रेम पर विज्ञापन, प्रचार-प्रसार से होनेवाली कमाई ऑरेंज मीडिया को ही मिलती है. लेकिन आये दिन कैमरों के खराब रहने की शिकायत मिलने पर कंपनी पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.