रांची: राजधानी के ईस्ट जेल रोड स्थित मदर टेरेसा की संस्था मिशनरीज ऑफ चैरिटी से संचालित निर्मल हृदय आश्रम से बच्चों की बिक्री प्रकरण में शुक्रवार को फिर सीआईडी की टीम ने छापेमारी की. पूरे निर्मल हृदय से बच्चों के जन्म की रिकॉर्ड से संबंधित रजिस्टर और पुराने दस्तावेजों, कंप्यूटर की ड्राइव और लैपटॉप को भी जब्त किया गया है.
लैपटॉप में बच्चों के जन्म और अविवाहित माताओं की एंट्री के रिकॉर्ड का सत्यापन किया जा रहा है. सुबह करीब आठ बजे ही प्रकरण की अनुसंधान कर रहे इंस्पेक्टर रवि कांत पहंचे थे. मिशनरी ऑफ चैरिटी के निर्मल ह्रदय में जन्में 927 नवजातों का सुराग नहीं मिल रहा है. सीआईडी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, साल 1995 से 2018 तक निर्मल ह्रदय में जो अविवाहिता माताएं एडमिट की गई, उनमें जन्में 927 नवजात शिशुओं के बारे में निर्मल ह्रदय के द्वारा न कोई जानकारी सीडब्लूसी को दी गई है और न ही केस के अनुसंधानकर्ता को उनके संबंध में जानकारी उपलब्ध करायी गई.
सीआईडी ने शुक्रवार की सुबह आठ बजे बच्चा बेचने के मामले में दर्ज एफआईआर के सिलसिले में निर्मल ह्रदय में छापेमारी की. देर रात तक चली छापेमारी के दौरान सीआईडी ने निर्मल ह्रदय के कार्यालय से अविवाहित माता एडमिशन रजिस्टर, सदर अस्पताल में नवजात के जन्म के संबंधित कागजात, एडॉप्शन से जुड़े अहम दस्तावेज जब्त किए हैं.
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क्या है मामला?
निर्मल ह्रदय से एक नवजात को डेढ़ लाख में बेचने का मामला 3 जुलाई 2018 को सामने आया था. यूपी की दंपत्ति को बच्चा बेचने के मामले में तब निर्मल ह्रदय की सिस्टम कौनसिलिया बाखला और सिस्टर अनिमा इंदवार को गिरफ्तार किया गया था. अनिमा के पास से पुलिस ने 1.20 लाख रुपए बरामद किए थे. सीआईडी ने बाद में इस केस को टेकओवर कर लिया था. सीआईडी के द्वारा मिशनरी ऑफ चैरिटी की सिस्टर मेरीडियान समेत 18 अभियुक्तों के खिलाफ पूरक अनुसंधान किया जा रहा है.
सीआईडी की जांच में यह बात सामने आयी है कि निर्मल ह्रदय के कर्मचारी विभिन्न लोगों के संपर्क कर अविवाहित गर्भवती बच्चियों को अपने संस्थान में एडमिट करवाते हैं. यहां गर्भवती नाबालिगों को यह समझाया जाता है कि वह बच्चे को लेकर गांव जाएंगे तो समाज में बदनामी होगी. बच्चा के जन्म के बाद इसे संस्थान में ही रखवा लिया जाता है. इसके बाद इन बच्चों को एडॉप्शन के नाम पर जरूरतमंद लोगों को बेच दिया जाता है.
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बच्चे के एडॉप्शन की जानकारी सीडब्लूसी या किसी अन्य सरकारी एजेंसी को भी नहीं दी जाती. सीआईडी की गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक, निर्मल ह्रदय के कर्मचारियों के द्वारा नवजात शिशु को उनके बायलोजिक्ल माता-पिता या अभिभावक से दबाव बनवाकर अपने बचाव में स्टांप पेपर में सरेंडर डीड बनवा लिया जाता है. सीआईडी ने संस्था से 14 सरेंडर डीड बरामद किए हैं.
सीआईडी को संस्था से चाहिए ये कागजात
- 3 जुलाई 1995 से 29 जून 2018 तक के सारे नवजातों का एडॉप्शन पेपर
- नवजात बच्चों के जन्म संबंधी सारे कागजात, अस्पताल की जानकारी
- नवजात के एडॉप्शन से जुड़ी मनी रिसिट
- कंप्यूटर, हार्ड डिस्क, पेन ड्राइव समेत अन्य डाटा
- बच्चों के एडॉप्शन से जुड़े काम में प्रयोग आने वाले ईमेल
- निर्मल ह्रदय को दान में मिले पैसों के खाते की जानकारी
- 1995 से लेकर अबतक कार्यरत रहे सारे कर्मियों की जानकारी और उनका वर्तमान मोबाइल नंबर
- एडॉप्शन संबंधी सारे सरेंडर डीड जो बायोलॉजिक्ल माता-पिता या अभिभावक ने दिया है
- अस्पताल की पूरी जानकारी जहां अविवाहित माता को भर्ती कराया गया, इलाज हुआ वगैरह