रांची/पटनाः छठ व्रत करने वाली महिलाओं को परवैतिन कहते हैं. छठ का पहला दिन कार्तिक महीने के शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय से शुरू होता है. नहाय खाय का मतलब सिर्फ नहाकर खाने से नहीं है. इसका अर्थ है उपासना से पहले मन और शरीर की पूरी शुद्धि. परवैतिन को सबसे पहले कर्मणा- मनसा- वाचा यानी कर्म से, मन से और वचन से अपने आप को पवित्र करना पड़ता है.
इस दिन घर की साफ-सफाई के बाद अहले सुबह परवैतिन गंगा जी, कुएं या किसी जलाशय में जाकर स्नान करती हैं. मन ही मन छठ व्रत का संकल्प लेती हैं. इसके बाद साफ-सुथरे चूल्हे पर अरवा चावल, चना दाल और कद्दू की सब्जी घी और सेंधा नमक डालकर बनाई जाती है. इसमें लाल मिर्च और लहसुन-प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है. आम तौर पर ये खाना पीतल, कांसे या मिटटी के बर्तन में बनाते हैं. आम की लकड़ी जलाकर मिट्टी के चूल्हे पर भोजन बनाने को शुद्ध माना जाता है, इसके लिए पहले से ही मिट्टी के चूल्हे तैयार किए जाते हैं. हालांकि अब लोग गैस चूल्हे का भी उपयोग करने लगे हैं. खाना पकाने के बाद भगवान को भोग लगाकर इसे सबसे पहले परवैतिन खाती हैं. इसके बाद परिवार के दूसरे सदस्य खाना खाते हैं.