रांची:लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा का आज दूसरा दिन है. छठव्रती आज खरना का प्रसाद बनाएंगी और शाम में छठ माता को अर्पित कर प्रसाद ग्रहण करेंगी, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा.
छठ पर्व के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को व्रतधारी दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते हैं. इसे 'खरना' कहा जाता है. खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है. प्रसाद के रूप में गुड़ से बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, और रोटी बनाई जाती है. इसमें नमक और चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है.
खरना का प्रसाद बनाती छठ व्रती खरना के दिन जो प्रसाद बनता है, उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता है. व्रती खीर अपने हाथों से पकाते हैं. शाम को प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. कई लोग गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे खरना करते हैं, वहीं कई लोग अपने घर में ही विधि-विधान से खरना करते हैं.
चूल्हे पर ठेकुआ बनाती व्रती छठी मईया के गीतों की धूम
छठ पर्व को लेकर पूरे बिहार का माहौल भक्तिमय हो गया है. पटना सहित बिहार के शहरों से लेकर गांवों तक में छठी मईया के कर्णप्रिय और पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं.
आने वाले दो दिन क्या होगा:
पर्व के तीसरे दिन शाम को व्रतधारी जलाशयों में पहुंचकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे. इसके लिए गंगा तटों पर साफ-सफाई और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं. यह पूजा नदी, तालाब, पोखर के किनारे की जाती है. 3 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य का दिन है. इसके साथ ही चार दिनों के छठ व्रत का समापन हो जाएगा.
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छठ पूजा की शुरुआत
छठ पूजा की शुरुआत 31 अक्टूबर से हो रही है. 4 दिन तक चलने वाला लोक आस्था का महापर्व को छठ पूजा, छठी माई, सूर्य षष्ठी आदि नामों से जाना जाता है.
- 31 अक्टूबर 2019: नहाय-खाय
- 1 नवंबर 2019: लोहंडा और खरना
- 2 नवंबर 2019: पहला अर्घ्य
- 3 नवंबर 2019: दूसरा अर्घ्य और पारण