रांची:गैर सरकारी सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों (Minority Secondary School) में प्रधानाध्यापक, शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति को लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों के लिए एक पत्र जारी किया गया है. पत्र के माध्यम से उन्हें मार्गदर्शन देते हुए एक निर्देश भी दिया गया है.
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झारखंड राज्य द्वारा अंगीकृत बिहार के राजकीय माध्यमिक विद्यालय अधिनियम 1981 के तहत गैर सरकारी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय अभी भी संचालित हैं. इसे लेकर एक मार्गदर्शन जारी किया गया है. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक हर्ष मंगला ने निर्देश देते हुए राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को कहा है कि अब अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक सहित विभिन्न नियुक्ति के लिए गठित विद्यालय सेवा बोर्ड के अनुमोदन से नहीं हो सकेगा.
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को शिक्षक की नियुक्ति के अनुमोदन की शक्ति
अल्पसंख्यक अराजकीय विद्यालय में नवनियुक्त शिक्षक की नियुक्ति के अनुमोदन करने की शक्ति भी माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को सौंपा गया है. निदेशक के द्वारा हरी झंडी मिलने के बाद ही इन विद्यालयों में नियुक्ति स्वीकृति हो सकेगी. निदेशक माध्यमिक शिक्षा के अनुमोदन प्राप्त किए बगैर किसी शिक्षक, प्रधानाध्यापक सहित शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति भी इस कोटि के विद्यालयों में नहीं की जा सकती है.
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बदल गए नियम
इससे पहले गैर सरकारी विद्यालयों में प्रबंधन समिति माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के बगैर अनुमोदन प्राप्त किए ही शिक्षकों को विद्यालयों में योगदान देने की अनुमति थी. इस वजह से ऐसे शिक्षकों और कर्मचारियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था. ये मामले पहले उच्च न्यायालय के दायरे में होता था. जिससे राज्य सरकार के शिक्षा विभाग को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था.
राज्य सरकार की नहीं होगी जिम्मेदारी
क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक और सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इन प्रावधानों का अनुपालन इस कोटि के विद्यालयों में शत-प्रतिशत लागू कराने के लिए निर्देश दिया गया है. अगर कोई शिक्षक माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के अनुमोदन के बगैर विद्यालय में योगदान करता है तो उस शिक्षक का योगदान स्वीकृत नहीं माना जाएगा. ऐसे मामलों में राज्य सरकार वेतन के भुगतान के लिए भी जिम्मेदार नहीं होगी.