रांची: चुनाव के दौरान आम लोगों के बीच दो शब्दों की खूब चर्चा होती है. वो है 'जमानत जब्त'. अगर किसी नेता की जमानत जब्त हो गई, तो इसका मतलब है कि चुनाव लड़ने के लिए भरी गई उनकी फीस भी नहीं लौटेगी. ऊपर से नेताजी की साख पर बट्टा भी लग जाता है. अब भला कौन नेता चाहेगा कि चुनाव में उसकी जमानत जब्त हो जाए.
2014 में 248 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
चूंकि झारखंड में विधानसभा चुनाव हो रहा है. लिहाजा, आपके लिए यह जानना जरूरी है कि जमानत जब्त के मामले में किस पार्टी का परफॉर्मेंस क्या रहा है. इसकी तुलना 2009 और 2014 के चुनाव से करना मुफीद रहेगा. 2009 में राष्ट्रीय और झारखंड की राज्यस्तरीय पार्टियों के कुल 244 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी. 2014 में यह आंकड़ा 248 पहुंच गया था.
बीएसपी के 76 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
2009 के चुनाव में सात राष्ट्रीय पार्टियों ने अपने प्रत्याशी उतारे थे. राष्ट्रीय पार्टियों में सबसे ज्यादा 78 प्रत्याशी बहन मायावती की पार्टी बसपा ने दिए थे, लेकिन 76 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. सीपीआई, सीपीएम और एनसीपी के शत प्रतिशत प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी, जबकि बीजेपी के 67 प्रत्याशियों में से 12, कांग्रेस के 61 प्रत्याशियों में से 22 और आरजेडी के 56 प्रत्याशियों में से 48 की जमानत जब्त हुई थी.
विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में जेएमएम ने सबसे ज्यादा 78 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. इनमें से 46 की जमानत जब्त हो गई थी. वहीं जेडीयू के 14 में से सात की जमानत जब्त हुई थी. इस मामले में 2009 में सबसे बेहतर परफॉर्मेंस किसी पार्टी का था तो वह था जेवीएम. बाबूलाल मरांडी की इस पार्टी के 25 उम्मीदवारों में सिर्फ 2 की जमानत जब्त हुई थी.
विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट 2014 में पार्टियों का परफॉर्मेंस
2009 के चुनाव से उलट इस चुनाव में बाबूलाल मरांडी की पार्टी का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा. 2009 में 25 के मुकाबले बाबूलाल ने 73 प्रत्याशियों के मैदान में उतारा था, जिनमें से 55 की जमानत जब्त हो गई थी. सीपीआई और सीपीएम के शत प्रतिशत प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा सके थे. बहन मायावती की पार्टी ने 2009 के नतीजों से सबक लेते हुए 78 के बजाए 61 प्रत्याशियों को टिकट दिया था, लेकिन इनमें से 59 की जमानत जब्त हो गई थी.
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जेएमएम के 35 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
इस चुनाव के वक्त सत्ता पर काबिज जेएमएम ने सबसे ज्यादा 79 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, जिनमें से 35 की जमानत चली गई थी. कांग्रेस के 62 में से 42 और आरजेडी के 19 में से 12 प्रत्याशियों की जमानत राशि जब्त हो गई थी. इस चुनाव में सबसे बेहतर प्रदर्शन बीजेपी और आजसू का रहा था. बीजेपी के 72 में से सिर्फ एक प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई थी, जबकि आजसू के आठ में से किसी भी प्रत्याशी को जमानत नहीं गंवानी पड़ी थी.