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मुख्यमंत्री जी मैं जीना चाहती हूं, कैंसर पीड़ित आशीमा ने सीएम हेमंत सोरेन को लिखी चिट्ठी - लापुंग प्रखंड

रांची लापुंग प्रखंड के रायटोली गांव के निवासी गरीब मजदूर मंगल मुंडा की पुत्री आशीमा कुमारी खतरनाक कैंसर की बीमारी से जूझ रही है. आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख खर्च हो गए, लेकिन उसे कैंसर से मुक्ति नहीं मिली. आशीमा ने सीएम को पत्र लिखकर गुहार लगाई है.

Cancer victim Ashima
कैंसर पीड़ित आशीमा

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Published : Feb 19, 2020, 2:31 PM IST

रांची: मुख्यमंत्री जी मैं जीना चाहती हूं और मुझे पढ़ना भी है. पढ़-लिखकर अपने भाई-बहनों को भी पढ़ाना चाहती हूं. आप मेरी जान बचा सकते हैं. मुझे आप से बड़ी उम्मीदें हैं. कैंसर पीड़ित एक लड़की ने अपनी जान बचाने के लिए मुख्यमंत्री के नाम चिट्ठी लिखी है.

देखिए पूरी खबर

कैंसर से जूझ रही आशीमा

लापुंग प्रखंड के रायटोली गांव के निवासी गरीब मजदूर मंगल मुंडा की पुत्री और राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय जातालोया की छात्रा 13 वर्षीया आशीमा कुमारी खतरनाक कैंसर की बीमारी से जूझ रही है. आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख खर्च हो गए, लेकिन उसे कैंसर से मुक्ति नहीं मिली. कैंसर के कारण ही गंभीर रूप से पीड़ित आशीमा कुमारी को अपना एक पैर गंवाना पड़ा. पूरे शरीर में कैंसर के संक्रमण फैलने के डर से चिकित्सकों ने 4 फरवरी 2019 को आशीमा का एक पैर काट दिया.

आयुष्मान भारत के तहत मिला लाभ

गरीब मजदूर की बेटी आशीमा को आयुष्मान भारत के तहत लाभ भी मिला. आयुष्मान के तहत 5 लाख रुपए भी खर्च भी हो गए, लेकिन आशीमा पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई. पैर कटने के बावजूद कैंसर का संक्रमण पूरे शरीर में फैलता जा रहा है और चिकित्सकों ने बगैर पैसे जमा किए उसका इलाज करने से मना कर दिया. जिंदगी और मौत के बीच झूल रही आशीमा ने अपनी जान बचाने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से गुहार लगाई है.

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सीएम को लिखा पत्र

अब एक-एक पैसे के लिए मोहताज पिता मंगल मुंडा और उसकी मां निमी मुंडा के समक्ष गहरा संकट छा गया है. राय टोली निवासी मंगल मुंडा और उसकी पत्नी निमी मुंडा के ऊपर आशीमा कुमारी के अलावे अपनी बेटियों अनिमा कुमारी, अनीता कुमारी और जसिंता कुमारी के अलावे पुत्र अनुज मुंडा के लालन-पालन की जिम्मेदारी भी है. मंगल मुंडा अपनी बेटी की जान बचाने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. आशीमा ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अपनी जान बचाने की गुहार लगाई है. 18 फरवरी को रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजा गया है.

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