रांची: कोरोना का संकट झारखंड में दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है. कोरोना से बचाव के लिए पूरे देश में लॉकडाउन है. लॉकडाउन के कारण लोग अपने घरों में बैठने को मजबूर हैं और न चाहते हुए भी अपने व्यापार और व्यवसाय में नुकसान सहने को विवश हैं.
खासकर परिवहन से जुड़े व्यापार करने वाले लोगों के लिए लॉकडाउन काफी महंगा साबित हो रहा है. लॉकडाउन में उनकी वाहन गेराज में रखे-रखे खराब होती जा रही है. झारखंड बस एसोसिएशन के अध्यक्ष कृष्ण मोहन सिंह ने कहा कि लॉकडाउन के कारण बस मालिकों को काफी नुकसान सहना पड़ रहा है. यह नुकसान गाड़ी के नहीं चलने से नहीं बल्कि गेराज में रखे-रखे खराब होने से हो रही हैं. अगर कुछ महीने तक गाड़ियां बंद पड़ जाती है तो फिर उनके चक्के और अन्य पार्ट्स को बदलना पड़ सकता है.
झारखंड में साढ़े 13 हजार बस
झारखंड में कुल साढ़े तीन हजार बसें हैं, जिनका परिचालन लंबी दूरी के सवारियों को ढोने में किया जाता है. वहीं, जो बस मालिक अपनी बसों को स्कूल में दिए हैं या फिर अन्य सुविधाओं के लिए भाड़े पर लगाए हुए हैं. वैसे बस मालिकों की संख्या लगभग दस हजार है. एक बस से कम से कम 20 लोग जुड़े होते हैं, लेकिन पिछले 1 महीने से बस खड़ी होने के कारण कई लोगों का रोजगार भी चौपट हो चुका है. वैसे लोगों के लिए भी सरकार को सोचने की जरूरत है.