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चाईबासा और लोहरदगा मामले में बीजेपी का मौन धरना, दूसरी तरफ चला चूड़ा दही का भोज, गिलुआ ने बताया परंपरा

चाईबासा और लोहरदगा मामले को लेकर बीजेपी ने शनिवार को राजवन के बाहर मौन धरना दिया, जहां पूर्व सीएम रघुवर दास भी शामिल थे. वहीं दूसरी तरफ पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के घर पर चूड़ा दही के भोज का आयोजन किया गया. इस बारे में लक्ष्मण गिलुआ ने सफाई देते हुए परंपरा बताया.

BJP was silent on the protest outside the RajBhawan in ranchi
बीजेपी का था मौन धरना

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Published : Jan 25, 2020, 4:57 PM IST

रांचीः राजनीतिक बयानबाजी में अक्सर कांग्रेस के ऊपर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाने वाली भारतीय जनता पार्टी का अजीब चेहरा शनिवार को देखने को मिला. एक तरफ जहां प्रदेश बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता अपनी पार्टी के सांसद और विधायकों के साथ राजभवन के बाहर धरना देते नजर आए. वहीं दूसरी तरफ पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के आवास पर चूड़ा दही का भोज चला.

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बाजेपी का राजभवन के बाहर था मौन धरना
दरअसल, सूबे के चाईबासा जिले में 7 आदिवासियों के नृशंस हत्या को लेकर कथित रूप से आक्रोशित बीजेपी ने राजभवन के बाहर मौन धरना कार्यक्रम का आयोजित किया था. शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम में न केवल पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास शरीक हुए बल्कि पार्टी के विधायक और कुछ सांसद भी शामिल हुए.

चूड़ा दही भोज कार्यक्रम
धरना का एक मुद्दा लोहरदगा जिले में सीएए के समर्थन में निकले जुलूस पर हुआ हमला भी था. मौन धरना के बाद पार्टी के एक डेलिगेशन ने बाकायदा गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और दोनों मामलों में जांच की मांग की. हैरत की बात यह है कि एक तरफ जहां पार्टी का यह कार्यक्रम चल रहा था. वहीं दूसरी तरफ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र कुमार राय हरमू इलाके स्थित आवास पर बाकायदा चूड़ा दही के भोज का कार्यक्रम परवान पर था.

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लक्ष्मण गिलुआ ने दी सफाई
वहीं, हद तो तब हो गई जब धरना में शामिल लोग वहां से उठकर सीधा राय के आवास पर चले गए. हालांकि इस मामले में जब प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ से पूछा गया तो उन्होंने बड़ी सफाई से इसे परंपरा का नाम दे दिया. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पार्टी नेता अपने आवास पर इस तरह का आयोजन नहीं करा सकते हैं.

बाबूलाल के विलय की चर्चा
बता दें कि राज्य में राजनीतिक सरगर्मी के बीच झारखंड विकास मोर्चा सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी अपनी पार्टी के बीजेपी में विलय को लेकर चर्चा में हैं. वहीं कोडरमा के पूर्व सांसद और पूर्व अध्यक्ष रवींद्र राय मरांडी के काफी करीबी भी रहे हैं.

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