रांची:प्रदेश में विपक्षी बीजेपी ने कहा कि सत्तारूढ़ महागठबंधन का नेतृत्व कर रहे झामुमो अपने चुनावी वादों को पूरा करने में असक्षम है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा अपने पार्टी के भीतर चल रहे कलह और गठबंधन के भीतर के मतभेद से ध्यान बंटाने के लिए झूठी बयानबाजी का सहारा ले रही है.
बीजेपी प्रेदश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव 'झारखंड मुक्ति मोर्चा को माफी मांगनी चाहिए'
बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि झामुमो का यह आरोप बिल्कुल बेबुनियाद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस विधानसभा भवन का उद्घाटन किया उसकी एनवायरमेंटल मंजूरी नहीं मिली थी. उन्होंने कहा कि केंद्र की ओर से अधिकृत स्टेट लेवल एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी ने 4 सितंबर 2019 को पत्रांक संख्या EC/SEIAA/2018-19/2130/2018/419 के जरिए विधानसभा भवन को मंजूरी दी थी. उन्होंने कहा कि ऐसे झूठे बयान करने के लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा को माफी मांगनी चाहिए.
'अदालत की अवमानना'
शाहदेव ने कहा कि एनजीटी ने 2 सितंबर 2019 को जस्टिस एसपी बांगड़ी और सत्यवान सिंह की बेंच ने इसी मुद्दे पर जांच करने के लिए 2 सदस्य टीम का गठन किया था. इस आदेश के तुरंत बाद चुनाव आ गया और नई सरकार का गठन दिसंबर में हो गया. लेकिन नई सरकार ने एनजीटी की समिति के सामने प्रभावी तरीके से अपने पक्ष को नहीं रखा. इस वजह से फाइन लगने की सूचना आ रही है. उन्होंने कहा कि एनजीटी का ऑर्डर अभी तक वेबसाइट पर अपलोड भी नहीं हुआ है, लेकिन झामुमो बयानबाजी कर अदालत की अवमानना कर रहा है.
ये भी पढ़ें-12 से 14 सितंबर तक हटिया ग्रिड से बिजली आपूर्ति रहेगी ठप, 2 लाख आबादी होगी प्रभावित
'निम्न स्तर की राजनीति का परिचायक'
उन्होंने कहा कि वैसे एनजीटी का यह आदेश अंतिम नहीं है. एनजीटी एक्ट के सेक्शन 22 के अंतर्गत राज्य सरकार सर्वोच्च न्यायालय में इसकी अपील कर सकती है. उन्होंने कहा कि भाजपा मांग करती है कf एनवायरमेंट क्लीयरेंस आने के बाद और पोस्ट फैक्ट अप्रूवल का प्रावधान होने के बाद भी एनजीटी में अपने पक्ष को सही तरीके से नहीं रखने के कारण यह जो फाइन लगने की बात सामने आ रही है यह वर्तमान सरकार के कैबिनेट से वसूल करना चाहिए. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि राज्य के विधानसभा और हाई कोर्ट की बिल्डिंग भाजपा की बिल्डिंग नहीं है. यह पूरे राज्य की धरोहर है. लेकिन झारखंड मुक्ति मोर्चा तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर झारखंड की बदनामी कर रही है, जो निम्न स्तर की राजनीति का परिचायक है.