पटना: 25 जून देश में आपातकाल लागू होने के लिए जाना जाता है. साल 1975 में 25 जून की रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी की घोषणा की थी. आपातकाल देश में मार्च 1977 तक लगा रहा. बिहार के कई बड़े नेता भी उस वक्त जेल गए थे. उन्हीं में से एक हैं बीजेपी के कद्दावर नेता और पटना के कुम्हरार से विधायक अरुण सिन्हा. उन दिनों को याद कर वे कहते हैं बहुत मुश्किल दौर था वो, जब लोकतंत्र को बंधक बना लिया गया था.
आपातकाल के दौरान अपने संस्मरण को याद करते हुए अरुण सिन्हा ने कई जानकारियां दी. ईटीवी भारत से खास बातचीत में अरुण सिन्हा ने कहा कि जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में छात्र आंदोलन के कारण देश में जो माहौल बनने लगा और इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से डर कर इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू कर दिया था. वे उन दिनों महाकवि नागार्जुन के साथ जेल में रहे.
'नागार्जुन के साथ साहित्य से जुड़ा'
बीजेपी विधायक अरुण सिन्हा ने कहा कि वे सिवान जेल में महाकवि नागार्जुन के साथ बंद थे. उस दौरान नागार्जुन ने इंदिरा गांधी के खिलाफ कई कविताएं लिखी. बातचीत के दौरान उन्होंने एक लाइन का जिक्र भी किया. 'इन्दू जी इन्दू जी क्या हुआ आपको, सत्ता के मद में भूल गई बाप को'. आपातकाल के दौरान बिहार में कैसा माहौल था इस सवाल के जवाब पर अरुण सिन्हा ने कहा कि हर ओर भय व्याप्त था. सबको लग रहा था कि अब देश में सैनिक शासन हो जाएगा. लोकतंत्र खत्म होने की कगार पर था. लेकिन, हमने उम्मीद नहीं छोड़ी.
बिहार के कई योद्धा थे जेल में बंद
अरुण सिन्हा ने बताया कि उस समय सुशील कुमार मोदी, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, अश्विनी चौबे के साथ सभी प्रमुख नेताओं को जेल में डाल दिया गया था. केवल जॉर्ज फर्नांडीज अंडर ग्राउंड हो गए थे. आपातकाल के दौरान प्रशासन के रवैया का जिक्र करते हुए अरुण सिन्हा ने बताया कि प्रशासन के लोग कहा करते थे कि हम मजबूरी में कार्रवाई कर रहे हैं. काफी संख्या में अधिकारियों का रवैया सहयोगात्मक था.