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नेता प्रतिपक्ष बना बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल, सदन में स्पीकर का फैसला ही होगा सर्वोपरि

झारखंड बीजेपी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिलाने को लेकर पार्टी लगातार प्रयासरत है. यह बीजेपी के लिए अब प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, लेकिन स्पीकर रविंद्र महतो के फैसला नहीं सुनाए जाने के कारण यह मामला अटका पड़ा है. इसके लिए पार्टी ने प्रदेश में संवैधानिक संस्थाओं की कस्टोडियन और गवर्नर द्रौपदी मुर्मू का दरवाजा खटखटाया है.

BJP demanded for Babulal Marandi to be leader of opposition
बाबूलाल मरांडी

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Published : Aug 8, 2020, 2:17 PM IST

रांची: झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को लेकर सियासत और तेज हो गई है. प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने पार्टी के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिए जाने को लेकर एड़ी चोटी एक कर दी है लेकिन अभी तक स्पीकर रविंद्र महतो ने इस बाबत अपना फैसला नहीं सुनाया है. अब प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में संवैधानिक संस्थाओं की कस्टोडियन और गवर्नर द्रौपदी मुर्मू का दरवाजा खटखटाया है. आधिकारिक सूत्रों की मानें तो गवर्नर ने इस बाबत स्पीकर से अद्यतन जानकारी के लिए तलब किया है.

नेता प्रतिपक्ष बीजेपी के लिए बना प्रतिष्ठा का सवाल

बीजेपी सूत्रों की मानें तो नेता प्रतिपक्ष का पद पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है. पार्टी का साफ तौर पर दावा है कि 26 विधायक होने के नाते बीजेपी झारखंड विधानसभा में दूसरी बड़ी पॉलिटिकल पार्टी है. ऐसे में नेता विधायक दल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिया जाना चाहिए.

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झाविमो की घर वापसी और नेता प्रतिपक्ष का कनेक्शन

दरअसल, 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी को 25 सीटें मिली हैं. वहीं, झारखंड विकास मोर्चा का विलय भी बीजेपी में हुआ. इस वजह से पार्टी की क्षमता असेंबली में 26 हो गई. साथ ही बीजेपी विधायकों ने पूर्व झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी को सदन में अपना नेता चुना. इस बाबत स्पीकर रविंद्र महतो को अवगत भी कराया गया लेकिन अभी तक नेता प्रतिपक्ष को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया है.

वहीं, बीजेपी सूत्रों का दावा है कि जेएमएम इसके पीछे अपने 'पॉलिटिकल वेंडेटा' को पूरा करने में लगा हुआ है. बीजेपी सूत्रों की माने तो जेएमएम नहीं चाहता है कि बीजेपी असेंबली में मजबूत पॉजिशन में रहे इस वजह से नेता प्रतिपक्ष को लेकर मामला कथित तौर पर लटकाया जा रहा है.

इलेक्शन कमीशन ने भी माना मरांडी को बीजेपी विधायक

हालांकि, पिछले दिन हुए राज्यसभा चुनाव में चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि बाबूलाल मरांडी की पार्टी का संवैधानिक रूप से बीजेपी में विलय हुआ है और मरांडी बीजेपी के विधायक हैं. ऐसे में यह स्पष्ट हो गया है कि बीजेपी विधायक दल के नेता मरांडी है. अब हमला स्पीकर के पास है उन्हें नेता प्रतिपक्ष को लेकर तस्वीर साफ करनी है.

सदन में विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय सर्वोपरि

जानकारों की माने तो विधानसभा अध्यक्ष सदन के मामलों में फैसले लेने के लिए अधिकृत होते हैं. एसेंबली के बाहर अन्य संस्थाएं या राजनीतिक प्रभाव देखा जा सकता है लेकिन सदन के अंदर के मामलों के लिए अंतिम निर्णय विधानसभा अध्यक्ष का ही होता है. ऐसे में असेंबली स्पीकर का फैसला ही मान्य होगा.

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राज्य में अबतक ये हुए हैं नेता प्रतिपक्ष

राज्य में अब तक हुए नेता प्रतिपक्ष के नामों पर नजर डालें तो यह साफ होता है कि राज्य गठन के समय जेएमएम के नेता स्टीफन मरांडी 24 नवंबर, 2000 से 10 जुलाई, 2004 तक नेता प्रतिपक्ष रहे. उसके बाद उनके ही दल के हाजी हुसैन अंसारी को 2 अगस्त 2004 से 1 मार्च 2005 तक नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी मिली. वहीं, 16 मार्च 2005 से 18 सितंबर 2006 तक जेएमएम के सुधीर महतो नेता प्रतिपक्ष रहे. जबकि 4 दिसंबर 2006 से 29 मई 2009 तक बीजेपी के अर्जुन मुंडा 7 जनवरी 2010 से 18 जनवरी 2013 तक कांग्रेस के राजेंद्र सिंह 19 जुलाई 2013 से 23 दिसंबर 2014 तक, अर्जुन मुंडा 7 जनवरी 2015 से 28 दिसंबर 2019 तक हेमंत सोरेन झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. वहीं, 20 वर्षों में राज्य में लगभग डेढ़ राष्ट्रपति शासन का रहा है.

संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्ति प्रक्रिया हो रही है प्रभावित

सबसे बड़ी बात यह है कि नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा में हो रही देरी की वजह से कुछ संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्ति का मामला भी लटका हुआ है. इनमें सूचना आयोग सबसे प्रमुख संस्था है जो लगभग निष्क्रिय हो गया है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि आयोग के पास ना तो अब मुख्य सूचना आयुक्त हैं और ना ही सूचना आयुक्त. दरअसल राज्य में सूचना आयुक्त का चयन मुख्यमंत्री के नेतृत्व में नेता प्रतिपक्ष सहित अन्य सदस्यों की एक कमेटी करती है लेकिन नेता प्रतिपक्ष का अभी तक चयन नहीं हुआ है. इस वजह से अभी तक सूचना आयोग में नए लोगों की बहाली नहीं हो पा रही है.

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