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नियोजन नीति की नई नियमावली पर भड़की भाजपा, राजभाषा के अपमान का लगाया आरोप: प्रतुल शाहदेव

झारखंड की नियोजन नीति में किए गए संशोधन से भाजपा भड़क गई है. इसे लेकर प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने राज्य सरकार पर कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा है कि यह न सिर्फ राजभाषा का अपमान है बल्कि इससे लाखों छात्रों पर भी असर पड़ेगा.

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हेमंत सोरेन और प्रतुल शाहदेव

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Published : Aug 6, 2021, 2:57 PM IST

रांची: हेमंत कैबिनेट ने नियुक्ति नियमावली में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है. इसके तहत थर्ड और फोर्थ ग्रेड की बहाली के लिए 12 क्षेत्रीय भाषाओं में से किसी एक में पास होना अनिवार्य कर दिया गया है. सरकार के इस स्टैंड पर प्रदेश भाजपा ने नाराजगी जतायी है. प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव राज्य सरकार पर नई नियुक्ति नियमावली के जरिए तुष्टीकरण करने, हिंदी राजभाषा का अपमान करने और अनेक क्षेत्रों के साथ भेदभाव बरतने का आरोप लगाया है. प्रतुल शाहदेव ने कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व की नियमावली को परिवर्तित करते हुए मुख्य परीक्षा से हिंदी के विकल्प को समाप्त कर दिया है. यह न सिर्फ राजभाषा का अपमान है बल्कि इससे लाखों छात्रों पर भी असर पड़ेगा.

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राजभाषा के अपमान का लगाया आरोप

आखिरकार मुख्य परीक्षा के जरिए ही छात्रों का विभिन्न पदों के लिए चयन होता है और इनकी रैंकिंग तय होती है. प्रतुल शाहदेव ने बताया कि पूर्व की नियमावली में राज्य स्तरीय मेंस के पेपर 2 में जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के लिए हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत विषय का भी प्रावधान था. लेकिन इस बार की नए नियमावली में तीनों विषय को हटा दिया गया है. जबकि नई नियमावली में उर्दू को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा में पेपर 2 में यथावत रहने दिया गया है. यह जानते हुए भी कि उर्दू कोई क्षेत्रीय जनजातीय भाषा नहीं है. भाजपा ने सरकार के इस फैसले को बहुसंख्यक विरोधी बताया है. प्रतुल शाहदेव का आरोप है कि राज्य सरकार अल्पसंख्यक वोटों के ध्रुवीकरण के कारण ऐसा कदम उठा रही है. लिहाजा, भाजपा इसका हर स्तर पर विरोध करेगी.

जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के पेपर को हटाया

प्रतुल शाहदेव ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य स्तरीय पदों के लिए जनजातीय क्षेत्रीय भाषा के पेपर 2 में भोजपुरी, अंगिका जैसी भाषाओं को हटा दिया गया है. इसकी वजह से पलामू, गढ़वा, साहिबगंज और गोड्डा में रहने वाले लोगों के साथ घोर अन्याय होगा. इन क्षेत्रों के छात्रों के पास मुख्य परीक्षा में हिंदी के रूप में एक विकल्प रहता था लेकिन राज्य सरकार ने उसे भी हटा दिया.

जन जागरण अभियान और आंदोलन की तैयारी

प्रतुल शाहदेव ने यह भी कहा कि इस नई नियमावली से झारखंडी मूल के सामान्य जातियों के छात्रों के साथ भी घोर अन्याय किया गया है. अगर इस वर्ग के छात्रों ने किसी भी कारण से किसी दूसरे राज्य से मैट्रिक, इंटर की पढ़ाई किया हैं तो वे झारखंड में कोई भी प्रतियोगिता परीक्षा का फॉर्म भरने से वंचित हो जाएंगे, जो कि उनके साथ बहुत ही बड़ा अन्याय होगा. सरकार के इस निर्णय को तुगलकी बताते हुए भाजपा ने जन जागरण अभियान और आंदोलन चलाने की बात की है.

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