रांची: जिले के लालखटंगा स्थित बायोडायवर्सिटी पार्क को अपने पसीने से जन्नत बनाने वाले 36 दैनिक वेतन भोगी मजदूर भुखमरी की कगार पर हैं. अप्रैल माह से अब तक इन्हें एक फूटी कौड़ी नहीं मिली है. मार्च तक इन्हें प्रतिदिन 249 रु मिलते थे, लेकिन नए वित्तीय वर्ष यानी अप्रैल माह से 316 रु प्रति दिन मिलने की बात थी.
इन मजदूरों को तकलीफ इस बात की भी है कि वन विभाग का कोई भी नुमाइंदा इनका दुख बांटने नहीं आया. फोन पर वन विभाग के कुछ लोगों से बात हुई तो सभी ने लाचारी जताई, चुंकि यह विभाग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास है इसलिए इन मजदूरों को भरोसा है कि उनके मुख्यमंत्री ही इनकी तकलीफ दूर करेंगे, पर्व त्योहार का सीजन है, लेकिन इन लोगों को दो वक्त की रोटी जुगाड़ करना भी मुश्किल हो रहा है. सभी कर्ज में डूब चुके हैं.
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काम बंद होने के कारण बायोडायवर्सिटी पार्क के पेड़-पौधे सूखने लगे हैं. फूल पत्तियां मुरझाने लगी हैं. बागबान लाचार है. पिछले साल पर्यटकों की पार्क में एंट्री मद से 55 लाख रु की उगाही हुई थी, जबकि मजदूरों के मानदेय और रखरखाव में 36 लाख रुपए खर्च हुए थे. फिलहाल, सब कुछ ठप है.
जानकारी के अनुसार, इस पार्क का उद्घाटन साल 2012 में हुआ था, तब अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री थे और हेमंत सोरेन उपमुख्यमंत्री. पिछले साल जनवरी में पूर्ववर्ती रघुवर सरकार की कैबिनेट की बैठक भी इसी बायोडायवर्सिटी पार्क में हुई थी. इस पार्क में रांची समेत दूर-दराज से लोग भी घूमने आते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण यह पार्क 24 मार्च से बंद है. सबसे अहम बात है कि सभी 36 दैनिक वेतन भोगी मजदूर इसी लालखटंगा पंचायत क्षेत्र के रहने वाले हैं. इनमें ज्यादातर जनजातीय समाज के हैं. अब इन्हें पैसे नहीं मिले तो गुजर बसर मुश्किल हो जाएगा. इसके बाद क्या हो सकता है इसकी सिर्फ कल्पना की जा सकती है.