रांची: झारखंड विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद के इस्तीफे की एक बड़ी वजह तत्कालीन सरकार की ब्यूरोक्रेसी में पहुंच और मुख्यमंत्री का पड़ोसी होना भी माना जा रहा है. प्रसाद पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में अच्छी रसूख रखने वाले एक वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट के रिश्तेदार बताए जाते हैं. एक तरफ जहां प्रसाद को नियामक आयोग का अध्यक्ष बनाने के बाद तत्कालीन सरकार पर सवाल उठे.
दूसरी तरफ उन्हें वह बंगला अलॉट किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव रहते थे. प्रसाद के पहले वह बंगला 1990 बैच के बिहार कैडर के आईएएस संजय कुमार को आवंटित था. कुमार को तत्कालीन सीएम रघुवर दास के प्रधान सचिव के रूप में वह बंगला मिला था.
ब्यूरोक्रेसी में बंगले की है चर्चा
प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद को पूर्ववर्ती सरकार में कांके रोड स्थित इस बंगले को अलॉट करने में नियमों में ढील दी गयी थी. कांके रोड स्थित मुख्यमंत्री निवास के मुख्य द्वार के ठीक सामने बना यह बंगला राज्य की ब्यूरोक्रेसी में हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है. इस बंगले के बारे में ऐसी बातें कही जाती हैं कि एक तरफ जहां इसका इंटीरियर नजरों में गड़ने वाला है, वहीं दूसरी तरफ इसका लोकेशन सुलभ है.
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बिहार कैडर के आईएएस अरविंद प्रसाद