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Bank Strike: कारोबार प्रभावित, झारखंड में 6000 करोड़ की बैंकिंग कारोबार पर असर - Opposition to privatization of banks

बैंक की दो दिवसीय हड़ताल से झारखंड में कारोबार प्रभावित हुआ है. ऐसा अनुमान है कि बैंक हड़ताल के कारण दो दिनों में 6000 करोड़ की बैंकिंग कारोबार प्रभावित हुआ है. प्रदेश के कई जिलों में बैंक हड़ताल का व्यापक असर देखा गया.

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बैंक की दो दिवसीय हड़ताल

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Published : Dec 17, 2021, 8:29 PM IST

रांचीः बैंकों के निजीकरण के खिलाफ झारखंड सहित देशभर में हुए दो दिवसीय हड़ताल के दौरान बैंकिंग व्यवस्था पूरी तरह चरमराती नजर आई. हड़ताल के दूसरे दिन बैंकों में ताले लटके रहे और कर्मचारी बैंक के सामने नारेबाजी करते रहे. झारखंड में बैंककर्मियों के हड़ताल के कारण करीब 6000 करोड़ का कारोबार प्रभावित होने की उम्मीद जताई जा रही है.

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झारखंड में 3 हजार 215 कॉमर्शियल बैंक्स हैं और 3 हजार 285 एटीएम हैं, जिसमें 24 हजार 758 कर्मचारी कार्यरत हैं. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयुक्त सचिव एमएल सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस हड़ताल के बाद भी सरकार नहीं चेती तो बैंककर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जाने को विवश हो जाएंगे.



केंद्र के खिलाफ आंदोलन रहेगा जारी- बैंक्स यूनियन
राष्ट्रीयकृत बैंकों के संयुक्त मंच यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यीनियंस द्वारा बैंकों के निजीकरण के लिए लाए जा रहे Banking Law Amendment Bill के खिलाफ आयोजित दो दिवसीय हड़ताल झारखंड में पूरी तरह सफल रहने का दावा किया गया. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की झारखंड इकाइयों ने हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी बैंक कर्मचारियों को बधाई दी. इस हड़ताल मे देश के 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया.

रांची में बैंककर्मियों का प्रदर्शन

राजधानी रांची में स्टेट बैंक, बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक समेत विभिन्न बैंकों के कर्मचारियों ने अपने-अपने रिजनल कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान सीटू के प्रकाश विप्लव, अनिर्वान बोस, आरपी सिंह, एटक के सच्चिदानंद मिश्र, अजय सिंह, एक्टू के शुभेंदु सेन और भुवनेश्वर केवट ने बैंककर्मियों को संबोधित किया.


वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र मे बैंकिंग अधिनियम में संशोधन कर देश के सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को निजी घरानों के हवाले करने की तैयारी कर रही है. जिसकी घोषणा संसद के पिछले बजट सत्र मे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर चुकी हैं. इसके पहले सरकार ने 29 राष्ट्रीयकृत बैंकों मे से कुछ प्रमुख बैंकों का एकीकरण कर दिया जिसके बाद अब केवल 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही अस्तित्व में रह गए हैं. अब सरकार इन बचे हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी पूंजीपतियों के हवाले कर जनता की गाढ़ी कमाई की बचतों को दांव पर लगा रही है.

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पाकुड़ में हड़ताल पर रहे बैंककर्मी

पाकुड़ में भी बैंक की हड़ताल का असर दिखा. जिला में यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन आह्वान पर भारतीय स्टेट बैंक, पीएनबी, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक, झारखंड वनांचल बैंक सहित सभी व्यवसायिक बैंक की शाखाओं में दूसरे दिन भी लाता लगा रहा. इस हड़ताल की वजह से पाकुड़ जिला में लगभग एक हजार करोड़ का लेनदेन प्रभावित हुआ है. इधर बैंकों के खाताधारी राशि की निकासी एवं जमा करने पहुंचे जरूर लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ा.

पाकुड़ में बैंककर्मियों का धरना-प्रदर्शन

बैंक हड़ताल का जामताड़ा में व्यापक असर

जामताड़ा में प्राइवेटाइजेशन के विरोध में बैंक यूनियन द्वारा बुलाए दो दिवसीय बैंक हड़ताल का जामताड़ा में व्यापक असर रहा. जामताड़ा की सभी बैंक शाखाएं 2 दिन तक बंद रहीं. बैंक कर्मियों ने कोई कामकाज नहीं किया. बैंककर्मियों ने धरना प्रदर्शन कर निजीकरण का पुरजोर विरोध किया. हड़ताल की वजह से दो दिन तक बैंक बंद रहने से करोड़ों का प्रभाव पड़ा है. बैंक खाताधारकों का काम ना होने से उनके साथ कई लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा.

जामताड़ा में बैंक कर्मचारियों का प्रदर्शन

आज से 51 साल पहले वर्ष 1969 मे बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था. जिसके बाद सच मायने में बैंकिंग सेवा ने देश की जनता के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों की शाखाएं खुलने से देश में कृषि का भी विकास हुआ. इतना ही नहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की जमा पूंजी में भी भारी इजाफा हुआ. बड़े पैमाने पर कारर्पोरेट घरानों के बैंक लोन को राइट ऑफ करने और बड़े आर्थिक खिलाड़ियों द्वारा बैंक की बड़ी भारी राशि डकार लिए जाने जिसे अब एनपीए कहा जा रहा है. इसको सरकारी संरक्षण नहीं रहता तो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक जो अभी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और ज्यादा योगदान दे सकते थे. इस परिस्थिति मे बैंकों के निजीकरण की कोशिश आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देगा. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने निजीकरण के खिलाफ अगले संघर्ष की घोषणा करते हुए ऐलान किया कि आगामी 23-24 फरवरी को सभी सेक्टर के मजदूर-कर्मचारी दो दिन की हड़ताल करेंगे.

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