रांचीः बैंकों के निजीकरण के खिलाफ झारखंड सहित देशभर में हुए दो दिवसीय हड़ताल के दौरान बैंकिंग व्यवस्था पूरी तरह चरमराती नजर आई. हड़ताल के दूसरे दिन बैंकों में ताले लटके रहे और कर्मचारी बैंक के सामने नारेबाजी करते रहे. झारखंड में बैंककर्मियों के हड़ताल के कारण करीब 6000 करोड़ का कारोबार प्रभावित होने की उम्मीद जताई जा रही है.
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झारखंड में 3 हजार 215 कॉमर्शियल बैंक्स हैं और 3 हजार 285 एटीएम हैं, जिसमें 24 हजार 758 कर्मचारी कार्यरत हैं. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयुक्त सचिव एमएल सिंह ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि इस हड़ताल के बाद भी सरकार नहीं चेती तो बैंककर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जाने को विवश हो जाएंगे.
केंद्र के खिलाफ आंदोलन रहेगा जारी- बैंक्स यूनियन
राष्ट्रीयकृत बैंकों के संयुक्त मंच यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यीनियंस द्वारा बैंकों के निजीकरण के लिए लाए जा रहे Banking Law Amendment Bill के खिलाफ आयोजित दो दिवसीय हड़ताल झारखंड में पूरी तरह सफल रहने का दावा किया गया. केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की झारखंड इकाइयों ने हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी बैंक कर्मचारियों को बधाई दी. इस हड़ताल मे देश के 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया.
राजधानी रांची में स्टेट बैंक, बैंक आफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक समेत विभिन्न बैंकों के कर्मचारियों ने अपने-अपने रिजनल कार्यालयों पर धरना प्रदर्शन किया. इस दौरान सीटू के प्रकाश विप्लव, अनिर्वान बोस, आरपी सिंह, एटक के सच्चिदानंद मिश्र, अजय सिंह, एक्टू के शुभेंदु सेन और भुवनेश्वर केवट ने बैंककर्मियों को संबोधित किया.
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र मे बैंकिंग अधिनियम में संशोधन कर देश के सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को निजी घरानों के हवाले करने की तैयारी कर रही है. जिसकी घोषणा संसद के पिछले बजट सत्र मे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर चुकी हैं. इसके पहले सरकार ने 29 राष्ट्रीयकृत बैंकों मे से कुछ प्रमुख बैंकों का एकीकरण कर दिया जिसके बाद अब केवल 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ही अस्तित्व में रह गए हैं. अब सरकार इन बचे हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी पूंजीपतियों के हवाले कर जनता की गाढ़ी कमाई की बचतों को दांव पर लगा रही है.