रांची: बैंकों के निजीकरण के खिलाफ 16 और 17 दिसंबर को झारखंड सहित देशभर का कॉमर्शियल बैंक बंद रहेगा. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आह्वान पर इस दो दिवसीय हड़ताल का व्यापक असर पड़ने की संभावना है.
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हड़ताल के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार
बैंक यूनियन्स ने हड़ताल की घोषणा करते हुए इसके लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार बताया है. हड़ताल पर जाने से पहले यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के संयुक्त संयोजक एम एल सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अधिनियम 1970 एवं 1980 को संशोधित कर बैंकों का निजीकरण करने जा रही है. जिसके विरोध में देशभर के बैंक कर्मी आंदोलनरत हैं और आगामी 16-17 दिसंबर को अखिल भारतीय स्तर पर हड़ताल पर रहेंगे. यह हड़ताल मुख्यता आम जनता के हितों को देखते हुए की जा रही है. उन्होंने कहा कि जब सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक लाभ अर्जित कर रहे हैं. अपनी सभी सामाजिक जवाबदेही निभा रहे हैं तो केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण का प्रस्ताव लाना कहां से उचित है.
झारखंड में बंद का असर
बैंककर्मियों के हड़ताल का झारखंड में व्यापक असर होने की संभावना है. राज्य भर में करीब 3215 कॉमर्शियल बैंक हैं और 3285 एटीएम हैं जिसमें 24 हजार 758 कर्मचारी कार्यरत हैं. दो दिवसीय हड़ताल के कारण करीब 6 हजार करोड़ रुपये का बैंकिंग कारोबार प्रभावित होने की संभावना है.
बैंकों मेंं लटके रहेंगे ताले
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के संयोजक के मुताबिक हड़ताल के दौरान सभी बैंकों में ताले लटके रहेंगे. उन्होंने बैंकिंग कारोबार पूरी तरह बंद रहने का दावा किया और सभी निजी बैंकों से भी हड़ताल में शामिल होने की अपील की. एआईबीएयू के राज्य सचिव घनश्याम श्रीवास्तव ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इस हड़ताल के बाद भी सरकार नहीं मानती है तो बैंककर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को विवश हो जायेंगे. हड़ताल को सफल बनाने के लिए सभी आंदोलनरत बैंककर्मी मंडल कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करेंगे.
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मनमानी कर रही है केंद्र सरकार
निजीकरण के खिलाफ आंदोलन कर रहे यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स ने केन्द्र सरकार पर बैंकों के साथ मनमानी करने का आरोप लगाया है. संघ ने सरकार से जानना चाहा है कि आखिरकार बैंकों का निजीकरण क्यों आवश्यक है. संघ के नेता एमएल सिंह ने कहा कि निजीकरण होने से शाखाएं बंद होंगी, आम जनता की गाढ़ी कमाई डूब जाएगी, ग्राहक सेवा प्रभावित होगा, सेवा शुल्क में अपार वृद्धि होगी, बेरोजगारी में वृद्धि होगी और कर्मचारियों की छंटनी होगी.
क्षेत्रीय असमानता बढ़ेगी
क्षेत्रीय असमानता के साथ-साथ गरीबों और आम जनता के बच्चों पर अमीरों का अधिकार हो जाएगा.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा संचालित चाहे वह जन धन योजना हो या कृषि से संबंधित योजनाएं उसे संचालित करने में हम बैंककर्मी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसके बावजूद भी बैंकों के निजीकरण करने पर केन्द्र सरकार आमदा है.