रांची: राजधानी के चिरौंदी में स्थित विज्ञान केंद्र अनोखा है. इस विज्ञान केंद्र से विज्ञान संबंधित लगभग सारी जानकारियां और जिज्ञासाओं को दूर किया जा सकता है. लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण अब यह साइंस सिटी बदहाली की कगार पर है. हालांकि, ठीक इसी परिसर में 19 वर्षों बाद वराहमिहिर तारामंडल का निर्माण भी हुआ है. लेकिन अगर ऐसी ही स्थिति बनी रही तो आने वाले दिनों में विज्ञान केंद्र जैसी ही करोड़ों की लागत से बनी नवनिर्मित तारामंडल की हालत भी खराब होगी. बता दें कि विज्ञान केंद्र के 70 प्रतिशत इक्विपमेंट बदहाली के कगार पर है.
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बहुउद्देशीय सोच के साथ रांची के चिरौंदी में साइंस सिटी का निर्माण करोड़ों रुपए खर्च कर किया गया था और इस परिसर में विज्ञान से संबंधित तमाम जिज्ञासाओं को निवारण भी किया जा सकता था. छात्र और आम लोग विज्ञान से संबंधित अच्छी-खासी जानकारियां यहां आकर हासिल करते थे. इस परिसर के भवन के अंदर पर्यावरण और प्राकृतिक रहस्य के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दी जाती रही है. एक से बढ़कर एक मॉडल के माध्यम से विज्ञान की तमाम जानकारियां यहां मिलती थी.
इस विज्ञान केंद्र की शुरुआत 29 नवंबर 2010 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के पहल से हुई थी. लगभग आठ एकड़ में फैले इस विज्ञान उद्यान में ध्वनि प्रकाश विज्ञान जैसे कई प्रदर्शन लगाए गए हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद से ही यहां की स्थिति बद से बदतर होती गई. अधिकारियों की उदासीनता और निगरानी के अभाव में कुछ वर्षों में यहां के अधिकतर कीमती समान बदहाली की स्थिति में आ गये हैं और इस ओर ध्यान देने वाला अब तक कोई नहीं है.
वहीं, निदेशक गौरीशंकर गुप्ता का कहना है कि विज्ञान केंद्र में बेकार पड़े इक्विपमेंट को जल्द ही बदला जाएगा. उन्होंने बताया कि भारत सरकार की एजेंसी से एमओयू हुआ है, जिससे विज्ञान केंद्र की हालत में जल्द सुधार किया जाएगा. अब देखना यह है कि जब इतने बेहतरीन और शानदार इक्विपमेंट को संभाल कर रखने में तंत्र विफल रहा तो क्या गारंटी है कि जो नए उपकरण लगेंगे उन्हें संभाल कर रखा जाएगा.