हजारीबाग: मेडिकल कॉलेज अस्पताल का हाल बेहाल है. पिछले 5 दिनों में 4 मरीज की मौत हो चुकी है. आलम यह है कि स्वास्थ्य व्यवस्था हजारीबाग में चरमरा सी गई है. ऐसे में मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर सवाल भी उठना शुरू हो गया है. स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि झारखंड विधानसभा सत्र के दौरान भी सवाल खड़ा किया गया है.
कॉलेज में किसी भी तरह की सुविधा नहीं
अब मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि कॉलेज में किसी भी तरह की सुविधा नहीं है. इस कारण हम बेहतर स्वास्थ्य लाभ नहीं दे पा रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि हजारीबाग सदर अस्पताल को मेडिकल कॉलेज का दर्जा देना ही नहीं चाहिए था.
ये भी पढ़ें-महिला दिवस विशेष: बुलंद हौसला और संघर्ष ने इन्हें बनाया अधिकारी
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल कोमा में चला गया है
आलम यह है कि पिछले दिनों कई मरीजों की मौत तक हो चुकी है. यहां तक कि एक फुंसी का इलाज के लिए डॉक्टरों ने बिरहोर बच्चे को रिम्स रेफर कर दिया. ऐसे में अस्पताल के बारे में कई सवाल उठ रहे हैं और लोगों का विश्वास भी उठता जा रहा है. मेडिकल कॉलेज की स्थिति को देखते हुए सदर विधायक मनीष जायसवाल ने भी सदन में मामला उठाया और सरकार का ध्यान आकृष्ट किया कि हजारीबाग में स्वास्थ्य सेवा बदतर होती जा रही है.
सुपरिटेंडेंट ने झाड़ा पल्ला
हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट ने कहा कि यहां डॉक्टरों की घोर कमी है, मशीन नहीं है और नर्सों की भी कमी है. इसके कारण वे उचित स्वास्थ्य लाभ नहीं दे पा रहे हैं. सुपरिटेंडेंट डॉ एसके लाल का यह भी कहना है कि फंड का भी घोर अभाव है, जिस कारण समस्या हो रही है. उन्होंने मेडिकल कॉलेज के अस्तित्व पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इसे मेडिकल कॉलेज बनना ही नहीं चाहिए था. जहां ओटी तक व्यवस्थित नहीं है. ऐसे में काफी मुसीबत में ऑपरेशन कर रहे हैं. उन्होंने हाल के दिनों में मरीजों की मौत पर कहा कि मामले की जांच हो रही है, उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
ये भी पढ़ें-रिम्स में लालू यादव परेशान, सता रहा कोरोना का डर
हाथी का दांत साबित हो रहा अस्पताल
मेडिकल कॉलेज का यह दुर्भाग्य है कि यहां ईसीजी कराने के लिए मशीन तो है, लेकिन ईसीजी करने के लिए जो कागज का रोल लगता है वह रोल नहीं है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन अपने इसीजी करने के रूम के सामने ही नोटिस लगा दिया है कि अस्पताल प्रबंधन ईसीजी नहीं कर सकता है, क्योंकि रोल नहीं है. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि अस्पताल की स्थिति बेहद खराब होती जा रही है और सरकार इस पर मौन है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल हाथी का दांत साबित हो रहा है जो किसी काम का नहीं है. जल्दबाजी में हजारीबाग मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन तो कर दिया गया, लेकिन उसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है. ऐसे में यहां के लोग न्यूनतम स्वास्थ्य लाभ के लिए तरस रहे हैं.