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मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश, शरारती तत्वों की तलाश में जुटी पुलिस

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Published : Sep 2, 2021, 3:42 PM IST

भारतीय हॉकी के पुरोधा जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई है. मारंग गोमके की प्रतिमा के साथ इस तरह की हरकत होने से स्थानीय लोग बेहद आक्रोशित हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और लोगों को आश्वासन दिया की शरारती तत्वों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

statue of Indian hockey legend Jaipal Singh Munda
statue of Indian hockey legend Jaipal Singh Munda

रांची:विश्व स्तर पर भारतीय हॉकी को पहचान दिलाने और आदिवासी समाज के महानायक कहे जाने वाले जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा को क्षति पहुंचाने की कोशिश की गई है. घटना रांची के खरसीदाग ओपी क्षेत्र की है. आज सुबह जब ग्रामीणों की नजर जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा पर पड़ी तो आसपास के लोग आक्रोशित हो गए.

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प्रतिमा के क्षतिग्रस्त होने के बाद नाराज लोगों ने घटना स्थल पर प्रदर्शन किया. इसकी जानकारी मिलते ही खरसीदाग ओपी प्रभारी वैद्यनाथ कुमार घटनास्थल पर पहुंचे और ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि शरारती तत्व को पकड़कर सजा दिलायी जाएगी. तब जाकर गांव के लोग शांत हुए. इस मौके पर लालखटंगा के मुखिया रितेश, स्मारक समिति के अध्यक्ष मुन्ना तिर्की और ग्राम प्रधान राजेश टोप्पो ने विधि व्यवस्था को संभालने में अहम भूमिका निभाई.

जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा का निरीक्षण करती पुलिस

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने प्रतिमा किया था अनावरण

रिंग रोड पर भुसुर चौक के पास जयपाल सिंह मुंडा की प्रतिमा लगी है. इसका अनावरण इसी साल 3 जनवरी को केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया था. दरअसल, घटना स्थल से जयपाल सिंह मुंडा के पैतृक गांव टकरा की दूरी महज 12 किलोमीटर है. इस इलाके के लिए प्यार और सम्मान के साथ जयपाल सिंह मुंडा के नाम के आगे मारंग मोमके शब्द का इस्तेमाल करते हैं.

विरोध प्रदर्शन करते स्थानीय

खूंटी के टकराहातू में हुआ था जन्म

जयपाल का जन्म 3 जनवरी, 1903 को खूंटी जिला के टकराहातू गांव में हुआ था. वे अखिल भारतीय आदिवासी महासभा में अध्यक्ष रहे. मारंग गोमके की पढ़ाई 1910 से 1919 तक रांची के संत पॉल्स स्कूल में हुई थी. उनकी कुशलता को देखते हुए तत्कालीन प्राचार्य रेव्ह कैनन कसग्रेवे ने उन्हें उच्चतम शिक्षा हासिल करने के लिए इंग्लैंड भेजा था. उन्होंने 1920 में संत आगस्टाइन कॉलेज में दाखिला लिया था.

प्रदर्शन करते स्थानीय

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जयपाल सिंह मुंडा की कप्तानी में भारत बना विश्व विजेता

1922 में जयपाल सिंह मुंडा ने ऑक्सफोर्ड से एमए किया. खेल के प्रति समर्पित होने के कारण 22 वर्ष की उम्र में उन्हें विम्बलडन हॉकी क्लब और ऑक्सफोर्ड शायर हॉकी एसोसिएशन का सदस्य बनाया गया था. बाद में उन्होंने भारतीय छात्रों को मिलाकर हॉकी टीम बनाई. एम्सटरडैम ओलम्पिक में जयपाल सिंह मुंडा ने भारत को अपनी कप्तानी में विश्व विजेता बनाया था. अभी हाल ही में टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम के कांस्य पदक जीतने पर पुरस्कार और उपहारों की बारिश हुई थी. पहली बार महिला हॉकी टीम के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने पर भी पूरे देश में जश्न मनाया गया था. लेकिन हॉकी चाहने वाले जानते हैं कि आजादी से पहले ही जयपाल सिंह मुंडा ने हॉकी की दुनिया में भारत का परचम लहरा दिया था.

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