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झारखंड से जुड़ी है अटल बिहारी वाजपेयी की सुनहरी स्मृतियां, पार्टी का दावा उनके सपनों को किया साकार - पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी की आज पुण्यतिथि है. साफ छवि और कर्मठता से उन्होंने भारतीय राजनीति के शिखर को छुआ. भारत रत्न अटल जी का झारखंड से भी खासा लगाव रहा. अलग राज्य के रूप में झारखंड को पहचान दिलाने का श्रेय उन्हें ही जाता है.

Atal Bihari Vajpayee relationship with Jharkhand
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Published : Aug 16, 2020, 10:01 AM IST

Updated : Aug 16, 2020, 12:48 PM IST

रांची: देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की झारखंड से कई स्मृतियां जुड़ी हुई है. अलग राज्य के रूप में झारखंड को पहचान दिलाने में उन्हें श्रेय दिया जाता है. 1999 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान झारखंड में चुनावी सभाओं में वाजपेयी ने खुलकर लोगों से कहा था कि वह केंद्र में उनकी सरकार बनाएं और वह उन्हें वनांचल (मौजूदा झारखंड) देंगे. एक तरफ जहां लोगों ने वाजपेयी का मान रखा और बीजेपी केंद्र में सरकार बनाने में सफल हुई. वहीं, 15 नवंबर, 2000 को झारखंड अस्तित्व में आया.

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वाजपेयी के सपने पूरे करने के लिए हैं तत्पर
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश कहते हैं कि वाजपेयी की भूमिका झारखंड निर्माण में बहुमूल्य है. उन्होंने कहा कि झारखंड के प्रति उनका विशेष लगाव था. यही वजह है कि उनके प्रति यहां के लोगों के मन में भी काफी सम्मान है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अभी भी पार्टी उनके बताए रास्ते पर चल रही है. इसके साथ ही जिस झारखंड का सपना वाजपेयी ने देखा था उसे पूरा करने के लिए राज्य में अब तक बनी बीजेपी सरकारों ने हर संभव प्रयास किया है.

राज्य गठन के बाद पहली सरकार बीजेपी की
दरअसल, जिस वर्ष झारखंड का गठन हुआ उस वर्ष राज्य में बीजेपी की सरकार बनी. बाबूलाल मरांडी राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने और अब तक झारखंड में बीजेपी के नेताओं को ही सबसे ज्यादा शासन करने का मौका मिला है. इस बाबत बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी योगेंद्र प्रताप दावा करते हैं कि बीजेपी शासन काल में झारखंड ने काफी तरक्की की है. उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी ने जो सपना देखा था वह पूरा होता दिख रहा है. तत्कालीन दक्षिण बिहार के हिस्सों को मिलाकर झारखंड का निर्माण किया गया उसके बाद लोग साफ तौर पर कहने लगे कि झारखंड धीरे-धीरे काफी आगे बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा कि उस समय धारणा भी यही थी कि दक्षिण बिहार के लोगों के हक को मारा जाता रहा है. इसके साथ ही आदिवासी बहुल इस इलाके में अपेक्षाकृत प्रगति नहीं हो रही है. बीजेपी शासनकाल के दौरान वाजपेयी के सपनों को पूरा करने के लिए तत्कालीन सरकार और संगठन ने समन्वय बनाकर काफी कुछ किया. हालांकि, झारखंड नामधारी पार्टियों के दौर में राज्य में राजनीतिक अस्थिरता हुई.

अलग-अलग इलाकों से जुड़ी हैं वाजपेयी की यादें
पुराने पन्नों को पलट कर देखें तो अटल बिहारी वाजपेयी का झारखंड दौरा होता रहा. राज्य के अलग-अलग जिलों में भी उन्होंने कई यात्राएं की. एकीकृत बिहार और मौजूदा झारखंड के दुमका जिले में अटल बिहारी वाजपेई पहली बार 1967 में आए थे. वहीं, 1983 में दुमका के गांधी मैदान में एक विशाल रैली को भी संबोधित किया. इतना ही नहीं तब उन्हें पार्टी को मजबूत करने के लिए 83,802 रुपये की एक थैली भी सौंपी गई थी. 1999 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान दुमका हवाई अड्डे पर वाजपेयी आए थे और उन्होंने लोगों से वादा किया था कि अगर चुनाव में एनडीए की सरकार बनती है तो वहां की जनता को अलग राज्य का तोहफा देंगे.

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धनबाद में मूर्ति का अनावरण
वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहते हुए उन्होंने धनबाद जिले में 1993 में रणधीर वर्मा मेमोरियल सोसायटी की तरफ आयोजित शहीद पुलिस अधिकारी की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया. इतना ही नहीं राज्य में दो बार 1988 और 2004 में बीजेपी की कार्यसमिति बैठक में शामिल हुए थे. 2000 और 2005 चुनाव में जमशेदपुर भी आए थे.

Last Updated : Aug 16, 2020, 12:48 PM IST

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