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असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति मामला: विश्वविद्यालयों से हाई कोर्ट नाराज, जवाब नहीं मिलने पर लगाया 10-10 हजार का जुर्माना

असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय को छोड़कर सभी विश्वविद्यालयों पर 10-10 हजार का जुर्माना लगााया है. बार-बार समय देने के बावजूद जवाब नहीं देने पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है.

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Published : Dec 22, 2021, 10:08 PM IST

Jharkhand High Court
झारखंड हाई कोर्ट

रांची: असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय को छोड़कर सभी विश्वविद्यालयों पर 10-10 हजार का जुर्माना लगााया है. हाई कोर्ट के बार-बार समय देने के बावजूद विश्वविद्यालयों के द्वारा जवाब नहीं पेश किए जाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कोर्ट ने ये आदेश दिया है. मामले में अगली सुनवाई 8 जनवरी को होगी.

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विश्वविद्यालयों को कड़ी फटकार

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई. जिसमें कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालय के अधिवक्ताओं से पूछा कि विश्वविद्यालयों ने जवाब पेश कर दिया है. जिस पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग को छोड़कर किसी भी विश्वविद्यालय की ओर से जवाब पेश नहीं किया गया था. इस पर नाराज हाई कोर्ट ने पूछा कि बार-बार समय दिए जाने के बावजूद भी विश्वविद्यालय की ओर से क्यों नहीं जवाब पेश किया गया. अदालत के आदेश को क्यों हल्के में लिया जाता है. इसके बाद कोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए सभी विश्वविद्यालयों पर 10 हजार का जुर्माना लगा दिया.

विश्वविद्यालयों का अंतिम मौका देने की गुहार

विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ताओं ने अदालत से अंतिम मौका देने की गुहार लगाई अदालत ने कहा नहीं कई बार समय दे चुके हैं अब समय नहीं दिया जाएगा. जिन विश्वविद्यालयों पर जुर्माना लगाया गया है उसमें रांची विश्वविद्यालय श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय सिद्धू कानू मुर्मू विश्वविद्यालय, विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय कोल्हान विश्वविद्यालय शामिल है.

क्या है पूरा मामला

बता दें कि याचिकाकर्ता डॉक्टर तस्लीम आरिफ ने असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली में दिए गए शैक्षणिक योग्यता और उम्र सीमा में किए गए बदलाव को झारखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी है. प्रार्थी का कहना है कि राज्य सरकार असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्ति नियमावली में बदलाव नहीं कर सकती है. विश्वविद्यालय ही बदलाव कर सकता है. सरकार को बदलाव करने का अधिकार नहीं है. उसी याचिका पर पूर्व में सुनवाई के दौरान अदालत ने सुनवाई के लिए स्वीकृत करते हुए सभी प्रतिभागियों को जवाब पेश करने का निर्देश दिया था. जिसमें विश्वविद्यालय की ओर से जवाब नहीं दिए जाने के कारण उन्हें फिर से समय देते हुए जवाब पेश करने को कहा था. लेकिन कई बार समय देने के बाद भी विश्वविद्यालय ने जवाब पेश नहीं किया. जिस के बाद अदालत ने जुर्माना लगाया है.

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