रांचीः संविदा पर नियुक्त राज्य के पुलिसकर्मी एक बार फिर आंदोलन पर हैं. नक्सल प्रभावित राज्य के 12 जिलों में इनकी नियुक्ति पांच वर्ष के लिए संविदा पर हुई थी. रघुवर सरकार के कार्यकाल में नक्सल हिंसा को रोकने के लिए जेएसएससी के माध्यम से 2500 युवा पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी. मानदेय वृद्धि और सेवा नियमित करने की मांग को लेकर राजभवन के समक्ष आमरण अनशन करने पहुंचे इन पुलिसकर्मियों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ने की घोषणा की है.
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मोरहाबादी में जुटे हैं पुलिसकर्मी
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राज्य के 12 नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत सहायक पुलिसकर्मी लगातार आंदोलन करते रहे हैं. इस बार अपनी मांगें मनवाने के लिए इन पुलिसकर्मियों ने इंसाफ-ए-वर्दी के नाम से आंदोलन चला रखा है. रघुवर सरकार के कार्यकाल में नक्सल हिंसा को रोकने के लिए जेएसएससी के माध्यम से 2500 युवा सहयक पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई थी.
राज्य के 12 नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्यरत ये पुलिसकर्मी लगातार आंदोलन करते रहे हैं. इस बार अपनी मांगें मनवाने के लिए इन पुलिसकर्मियों ने इंसाफ-ए-वर्दी के नाम से आंदोलन चला रखा है. मोरहाबादी मैदान में जुटे इन पुलिसकर्मियों में कई महिला पुलिसकर्मी भी हैं, जो अपने छोटे छोटे बच्चों के साथ पहुंची है. 2017 से संविदा पर काम कर रहे इन पुलिसकर्मियों का कहना है कि महज 10 हजार रुपये में नक्सल प्रभावित घनघोर जंगल में काम करने को ये विवश हैं. सरकार द्वारा कई बार मांगों को लेकर आश्वासन भी दिया गया, मगर उसे सरकार ने पूरा नहीं किया.
संविदा पर काम कर रहे पुलिसकर्मियों का पांच वर्ष का कार्यकाल अगस्त 2022 में खत्म हो रहा है. पिछली बार मोरहाबादी मैदान में कई दिनों तक चले आंदोलन के बाद मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने हस्तक्षेप कर आंदोलन समाप्त कराया था. उस दौरान मंत्री के साथ हुई वार्ता में मानदेय बढोत्तरी के साथ साथ सेवा नियमितीकरण पर भी विचार करने का आश्वासन दिया गया था. मगर समय बीतता गया, इनकी मांगें धरी की धरी रह गई. सरकार के वादों से अपना आपको ठगा महसूस कर रहे ये पुलिसकर्मी एक बार फिर आंदोलन कर सरकार पर दवाब बनाने में जुटे हैं. इधर आंदोलन कर रहे पुलिस जवानों को राजभवन जाने से रोकने के लिए भारी संख्या में मोरहाबादी मैदान में पुलिस जवानों को नियुक्त किया गया है.