रांचीः भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है. 26 जनवरी1950 को जब भारत गणतांत्रिक देश बन रहा था, उसी के एक दिन पहले 25 जनवरी 1950 को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव के लिए भारत निर्वाचन आयोग का गठन किया गया. भारत का संविधान इस देश के हर नागरिक को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देता है. पहले मत पत्र के जरिए मतदान किया जाता था लेकिन बदलते वक्त के साथ ये तरीका थोड़ा बदल गया है और अब ईवीएम के जरिए वोट डालते हैं. केंद्र की सरकार चुनने के लिए लोकसभा चुनाव और राज्यों की सरकार चुनने के लिए विधानसभा चुनाव कराए जाते हैं. चुनावों की ये प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से होती है. मतदाता सूची का प्रकाशन एक जरूरी चुनाव पूर्व प्रक्रिया है.
निर्वाचन आयोग सबसे पहले चुनाव की तारीखों का ऐलान करता है और इसी के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. चुनाव के नोटिफिकेशन में उम्मीदवारों के नामांकन, नाम वापसी, स्क्रूटनी, मतदान और मतगणना की तारीख का जिक्र होता है. राजनीतिक दल अपने उम्मीदवार तय करते हैं और वे उम्मीदवार लोगों से अपने पक्ष में वोट की अपील करते हैं. चुनाव प्रचार मतदान के 48 घंटे पहले खत्म हो जाता है. मतदान के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में कई पोलिंग बूथ बनाए जाते हैं, जहां आप मान्य दस्तावेज के साथ जाकर अपना प्रतिनिधि चुन सकते हैं. मतदान का समय खत्म होने के बाद ईवीएम को भारी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखा जाता है.
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मतगणना के दिन ईवीएम से मतों की गिनती की जाती है. सबसे ज्यादा वोट हासिल कर जीतने वाले उम्मीदवार अपने विधानसभा के विधायक बन जाते हैं. चुने हुए विधायक राज्य सरकार का गठन करते हैं. इसके लिए सबसे अधिक सीटें हासिल करने वाली पार्टी या गठबंधन को राज्यपाल द्वारा नई सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाता है. किसी भी पार्टी या गठबंधन को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है जो कुल सीटों के आधे से एक ज्यादा होता है. जैसे झारखंड में 81 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होता है और सरकार बनाने के लिए पार्टी या गठबंधन को न्यूनतम 41 सीटों पर जीत हासिल करनी पड़ती है.