रांची: झारखंड में इन दिनों नियुक्ति को लेकर काफी हलचल मची हुई है. एक तरफ जहां नियोजन नीति को झारखंड हाई कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के खिलाफ लोग गोल बंद होने लगे हैं तो वहीं झारखंड हाई कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल की गई है. कुछ अभ्यर्थियों ने दाखिल याचिका में हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की अपील की है.
नियोजन नीति को झारखंड हाई कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद राज्य सरकार ने प्रभावित तमाम अभ्यर्थियों को आश्वासन देते हुए कहा है कि वह अपने स्तर से सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और इस मामले को लेकर चुनौती देंगे. हालांकि, अभ्यर्थी राज्य सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने के इंतजार में नहीं है. वह खुद भी अपने स्तर पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं और स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल की गई है.
नियोजन नीति को झारखंड हाई कोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की गई है. अभ्यर्थी सत्यजीत कुमार और उनके साथियों की ओर से दाखिल याचिका में हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है. कोर्ट ने नियोजन नीति के तहत 13 अधिसूचित जिलों में हुई नियुक्ति को भी रद्द कर दिया है और दोबारा नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है. हाई कोर्ट के आदेश से 8 हजार से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित हुए हैं.
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सुप्रीम कोर्ट में अभ्यर्थियों द्वारा दाखिल किए गए याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हो चुकी है और अब उन्हें नियुक्ति से अचानक हटा देना यह न्याय संगत नहीं है. इस पूरे मामले में अभ्यर्थियों की कोई गलती नहीं है. इसके बावजूद उनके साथ गलत हो रहा है. यह सरकार का नीतिगत मामला है और सरकार इसकी जवाबदेही है. इसलिए उनकी नियुक्ति को बहाल रखा जाए. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में सोनी कुमारी झारखंड कर्मचारी चयन आयोग सहित और भी कई बॉडीज को प्रतिवादी बनाया गया है. सोनी कुमारी की ओर से ही हाई कोर्ट में नियोजन नीति को चुनौती दी गई थी.