रांची: प्रदेश की 2 राज्यसभा सीटों के लिए होने वाला चुनाव बीजेपी और आजसू पार्टी को दोबारा एक पटरी पर ला सकता है. बीजेपी को पूरी उम्मीद है कि आजसू पार्टी पुरानी दोस्ती के नाते राज्यसभा चुनाव में उसके साथ खड़ा रहेगी. विधानसभा चुनाव के दौरान आजसू पार्टी ने बीजेपी से अपनी राहें अलग कर ली थी और फिलहाल वह झारखंड विधानसभा में विपक्षी दल के रूप में मौजूद है.
महागठबंधन के पास पर्याप्त आंकड़े
राज्य की खाली हो रही दो राज्यसभा सीटों में से एक पर जीत के लिए सत्तारूढ़ महागठबंधन के पास पर्याप्त आंकड़े हैं. झारखंड विधानसभा में एक तरफ झारखंड मुक्ति मोर्चा के 30, कांग्रेस के 16 और राजद के एक विधायक के साथ सरकार चल रही है. वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष में बीजेपी के 25, आजसू के दो विधायकों के अलावा कुछ निर्दलीय और वाम दल के विधायक मौजूद हैं.
आंकड़ों के लिहाज से झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार और पार्टी के सुप्रीमो शिबू सोरेन की जीत लगभग तय मानी जा रही है. वहीं, दूसरे उम्मीदवार के लिए महागठबंधन को थोड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है. दरअसल, राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए उम्मीदवार को 27 प्रथम वरीयता वाले वोटों की जरूरत होगी. ऐसे में सत्ता पक्ष एक सीट के लिए निश्चित है. वहीं, दूसरी सीट के लिए वह भी समान विचार वाले विधायकों से संपर्क कर रहा है.
आंकड़ों में विपक्ष का दावा भी है मजबूत
वहीं, बीजेपी की तरफ नजर डालें तो 25 विधायक फिलहाल झारखंड विधानसभा में हैं. बाबूलाल मरांडी के झारखंड विकास मोर्चा में विलय के बाद बीजेपी 26 के आंकड़ें पर पहुंच गई है. वहीं, पार्टी को पूरी उम्मीद है कि आजसू पार्टी भी उसके साथ खड़ी रहेगी. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दीनदयाल बरनवाल ने दावा किया कि आजसू बीजेपी का स्वाभाविक सहयोगी रहा है. दोनों दलों में किसी तरह का कोई मतभेद भी नहीं है.