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लॉकडाउन 2.0 में कृषि क्षेत्र को मिली छूट, कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने दिया टिप्स

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Published : Apr 20, 2020, 9:45 PM IST

रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में किसानों को गेहूं कटाई के लिए कई दिशा-निर्देश दिए जा रहे हैं. फसल कटाई के समय सोशल डिस्टेंसिंग के साथ की की जा रही है. बता दें कि कई क्षेत्रों को लॉकडाउन से बाहर रखा गया है जिसमें कृषि क्षेत्र भी शामिल है. ताकि किसान कृषि संबंधित कार्य अपने खेतों में कर सके.

Corona, कोरोना
गेहूं की फसल

रांची: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का प्रकोप पूरे देश में है, भारत सहित पूरे राज्यभर में इस महामारी से रोकथाम के लिए लॉकडाउन की अवधि बढ़ाते हुए 3 मई तक की गई है. लेकिन इस लॉकडाउन में कई क्षेत्रों को लॉकडाउन से बाहर रखा गया है जिसमें कृषि क्षेत्र भी शामिल है. ताकि किसान कृषि संबंधित कार्य अपने खेतों में कर सके, क्योंकि इस समय किसानों के खेतों में फसलों की कटाई का समय होता है खास करके बात करें गेहूं की फसल इस वक्त मुख्य रूप से कटाई की जाती है. लेकिन लोग डाउन की वजह से गेहूं की फसलों को काफी प्रभाव पड़ रहा था कृषि के क्षेत्र में किसानों को दिक्कत ना हो इसके मद्देनजर कृषि कार्य करने के लिए विशेष छूट दी गई है.

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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में नए नए किस्म के गेहूं की खेती की जाती है ताकि आने वाले समय में किसानों को बेहतर किस्मत की गेहूं की वैराइटी दिया जा सके ताकि किसान उस वैरायटी का उपयोग कर कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. लॉकडाउन में कृषि क्षेत्र को छूट दिए जाने के बाद बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं विशेषज्ञ गेहूं की खेती का किस तरह से कटाई कर रहे हैं जिसको लेकर ईटीवी भारत के टीम ने वैज्ञानिक से खास बातचीत की है और जानने की कोशिश की है किस तरीके से खेतों में किसान फसल की कटाई के समय सावधानियां बरतें. उन्होंने बताया कि इस वैश्विक महामारी से निजात दिलाने के लिए सबसे पहले तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए इसी के मद्देनजर खेतों में गेहूं की कटाई करने से पहले मजदूरों को सबसे पहले साबुन या सेनेटाइजर से हाथ साफ कराया गया, उसके बाद जो भी उपकरण हैं उसको भी सेनेटाइज किया गया और फिर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए गेहूं की कटाई की जा रही है.

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बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ सूर्य प्रसाद ने बताया कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में किसानों को कम लागत में अच्छी मुनाफा हो इसको लेकर तरह-तरह के गेहूं की किस्मों का उत्पादन किया जाता है. ताकि आने वाले समय में रिसर्च कर किसानों तक बेहतर किस्म की गेहूं का बीज पहुंचाया जा सके कृषि विश्वविद्यालय में दो तरह के किस्म का तैयार किया जाता है. पहला कम अवधि वाली गेहूं का विकसित किया जाता है क्योंकि झारखंड में धान की खेती में ज्यादा समय लगता है इस लिहाज से कम अवधि में ही गेहूं की खेती हो सके वैसे किस्म का विकसित किया जाता है. दूसरा कम सिंचाई में अच्छा पैदावार हो सके ऐसे किस्म का विकसित किया जा रहा है क्योंकि झारखंड में 12% ही क्षेत्र पर सिंचाई की सुविधा है. वहीं, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने कहा कि लॉकडाउन के वजह से गेहूं की फसल पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है, क्योंकि इस बार रबि की फसल के समय दो तीन बार बारिश भी हुई है और मौसम भी ठंडा रहा है जिसके कारण अधिक समय पर ही गेहूं का फसल तैयार हुआ है. ऐसे में लॉक डाउन का विपरीत परिणाम नहीं पड़ेगा.

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