रांची: सोशल मीडिया पर ऋचा भारती के द्वारा दिए गए आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद अदालत ने कुरान बांटने की शर्त पर जमानत दी गई है, लेकिन जमानत की शर्त के बाद सियासी गलियारों में इसकी चर्चाएं जोरों पर होने लगी. नौबत यहां तक आ गई है कि इस फैसले के बाद रांची बार एसोसिएशन एकजुट होकर अदालत के इस फैसले के विरोध में खड़े हो गए हैं.
48 घंटें में फैसला वापस लेने की मांग
अदालत के विरोध में प्रधान न्याययुक्त नवनीत कुमार से मुलाकात कर अधिवक्ताओं ने न्यायाधीश मनीष कुमार सिंह के द्वारा दिए गए फैसले का विरोध कर रहे और फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इस दौरान अधिवक्ताओं ने एक सुर में कहा कि जब तक न्यायाधीश मनीष कुमार को तबादला नहीं किया जाता है, तब तक उनकी अदालत का बहिष्कार करेंगे. वहीं, 48 घंटे के अंदर फैसले को वापस करने की मांग पर अड़े रहे.
रांची बार एसोसिएशन के महासचिव कुंदन प्रकाशन ने कहा कि जिस तरह का जजमेंट न्यायाधीश मनीष कुमार सिंह की अदालत से आया है यह पहले इस तरह का कभी जजमेंट नहीं आया था. उन्होंने कहा कि इस तरह का जजमेंट आपसी सौहार्द्र बिगाड़ने का काम करती है. महासचिव कुंदन प्रकाशन ने कहा कि पूरे अधिवक्ता एकजुट है हिंदू मुस्लिम सभी अधिवक्ता एक सुर में इस फैसले का विरोध करते नजर आ रहे हैं.
प्रशासन पर उठ रहे सवाल
कुंदन प्रकाशन ने कहा कि हमारी मांग हैं कि 48 घंटे के अंदर न्यायाधीश मनीष कुमार सिंह को तबादला करे. वहीं पूर्व महासचिव संजय कुमार विद्रोही ने कहा कि सोशल मीडिया पर एक टिप्पणी पर कुरान बांटने का कहीं से भी न्याय संगत नहीं है. इस फैसले से आपसी सौहार्द्र का वातावरण बिगड़ा है. इस दौरान पुलिसिया रवैए पर भी सवाल खड़ा किया गया.
क्या था पूरा मामला
बता दें कि बीते शुक्रवार को सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले पर पिठोरिया थाना द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए ऋचा पटेल उर्फ ऋचा भारती को 2 घंटे के अंदर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जिसके बाद स्थानीय लोगों ने विरोध करते हुए बिना शर्त इसे रिहा करने की मांग पर अड़े रहे. वहीं, सोमवार को न्यायाधीश मनीष कुमार सिंह की अदालत ने कुरान की 5 प्रति बांटने की शर्त पर जमानत की सुविधा प्रदान की. ऋचा भारती और उसके परिवार वालों ने कहा कि जब तक जजमेंट की कॉपी नहीं आती है तब तक इस पर कुछ भी करना उचित नहीं होगा. जजमेंट की कॉपी आने के बाद ऊपरी अदालत में इसके खिलाफ जाने का काम करेंगे.