रांची: झारखंड में गठबंधन की सरकार के गठन के साथ ही खजाना खाली होने की बात सत्ताधारी दल की तरफ से की जाती रही है. साथ ही सरकार गठन के ठीक बाद कोरोना काल शुरू हो गया. ऐसे में सत्ताधारी दल का कहना है कि ना तो अब तक केंद्र सरकार की तरफ से जीएसटी के पैसे दिए गए हैं और ना ही कोरोना से निपटने के लिए सहायता की गई है. खाली खजाने को लेकर सत्ताधारी और विपक्षी दल आमने-सामने आ गई है. विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी ने सत्ताधारी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस पर खनिज संपदा की तस्करी और तस्करों को संरक्षण देने का आरोप लगया है. तो सत्ताधारी दल कांग्रेस ने रघुवर दास के कार्यकाल के शाह ब्रदर्स के बकाए राशि के सेटलमेंट को याद दिलाया है.
ऐसे में कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने दीपक प्रकाश के बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि उन्हें बताना चाहिए कि शाह ब्रदर्स जिनका 1535 करोड़ माइनिंग का बकाया था. उसे 268 करोड़ में किस सरकार ने सेटल किया, जिससे राज्य सरकार को रघुवर दास के कार्यकाल में भारी क्षति उठानी पड़ी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले 2 महीने का लॉकडाउन किया और उसके बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की. लेकिन केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को कोई मदद नहीं मिली फिर भी महामारी के दौर में सरकार ने इस चुनौती का सामना किया.
उन्होंने दावा किया कि बजट के 50% की राशि दिसंबर महीने तक खर्च कर लिया जाएगा. जबकि आगामी मार्च महीने में विकास के लिए बजट में किए गए प्रावधान की राशि को भी खर्च कर लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने खाली खजाना छोड़ा था लेकिन गठबंधन सरकार अब खड़ी हो रही है. लेकिन केंद्र की सरकार गठबंधन सरकार को अस्थिर करना चाहती है और यहां की संघीय ढांचे पर प्रहार करना चाहती है. जो वास्तविकता से दूर है, भाजपा सिर्फ झूठ का सहारा लेकर भ्रम फैलाने का काम कर रहे हैं.