रांची: झारखंड में वन विभाग में अनियमितता की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू कर दी है. वन विभाग में विभागीय जांच के बाद योजना के निष्पादन नहीं होने के बावजूद पैसे की निकासी, सामग्रियों की खरीद में करोड़ों की अनियमितता का मामला पाया गया था. मामला सामने आने के बाद विभाग ने पूरे मामले में जांच के लिए मंत्रिमंडल, सचिवालय और निगरानी विभाग को पत्र लिखा था. निगरानी विभाग से आदेश मिलने के बाद एसीबी ने पीई दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है. पूरा मामला साल 2012-13 का है. आय से अधिक संपत्ति के मामले में वन विभाग के अफसरों की भूमिका की भी जांच होगी.
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राज्य भर में घोटाले का अंदेशा
वन विभाग ने मंत्रिमंडल निगरानी विभाग को जानकारी दी थी कि वित्तीय वर्ष 2012-13 में दक्षिणी वन प्रमंडल के चतरा में एक करोड़ आठ लाख का एक ट्रांजेक्शन किया गया था. इस मामले में तत्कालीन वन क्षेत्र पदाधिकारी सुरेंद्र ओझा की भूमिका पायी गई थी. तब बैंकिंग सिस्टम अलर्ट के जरिए सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा के संज्ञान में पूरा मामला सामने आया था. तब मामले की जांच में यह बात सामने आयी थी कि सेवानिवृत्ति के बाद भी वन विभाग के पैसों को निजी खाते में रखा गया. इसके साथ ही व्यक्तिगत खाते से राशि का आवंटन किया गया. वन विभाग ने आशंका जतायी कि चतरा के अलावा दूसरे वन प्रमंडलों में भी पदाधिकारियों ने ऐसी गड़बड़ी की होगी.