रांची: मगध-आम्रपाली परियोजना में अवैध तरीके से कमाई करने वाले पुलिस अफसरों की भूमिका और संपति की एसीबी जांच शुरू हो गई है. एसीबी ने एसडीपीओ टंडवा के अनुशंसा पर उग्रवादी संगठन टीपीसी, सीसीएल, कोल ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत से पुलिस अफसरों की अवैध कमाई की जांच की है.
चतरा भी गई थी टीम
एसीबी ने शुरूआत में टंडवा के तत्कालीन इंस्पेक्टर बंधन भगत के खिलाफ पीई दर्ज की है. इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार के मंत्रिमंडल और निगरानी विभाग से अनुमति मिलने के बाद एसीबी ने कार्रवाई भी शुरू कर दी है. एसीबी की टीम जांच के लिए चतरा के कोल परियोजनाओं का दौरा कर चुकी है. एसीबी ने वहां कोल परियोजना से जुड़े ट्रांसपोर्टरों से पूछताछ भी की है. एसीबी अधिकारियों के मुताबिक, चतरा में कोल परियोजना से उगाही करने वाले सभी पुलिस अधिकारियों की संपत्ति की जांच होगी. एसीबी पीई के आधार पर जांच का दायर बढ़ाएगी. साल 2013 के बाद वहां चतरा में पोस्टेड रहे थानेदार से लेकर आईपीएस अधिकारियों तक की भूमिका पर जांच होगी.
एसडीपीओ ने रिपोर्ट में माना प्रतिटन लेवी 116 रूपये
झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर टंडवा एसपी ने टंडवा एसडीपीओ से टीपीसी उग्रवादी संगठन का भय दिखाकर कोल व्यवसायियों, ठेकेदारों, डीओ होल्डर और पुलिस अफसरों के संबंध में एक रिपोर्ट तैयार की है. यह रिपोर्ट चतरा एसपी के जरिए एसीबी डीजी को भेजी गई है. रिपोर्ट में जिक्र है कि मगध- आम्रपाली कोल परियोजना में प्रति टन 116 रुपये की अवैध वसूली होती है. इसमें से 10 रुपया प्रतिटन स्थानीय थाना को जाता है. कोल परियोजना में प्रेम विकास सिंह उर्फ मंटू सिंह के लिए काम करने वाले प्रमोद कुमार सिंह, अरविंद कुमार समेत अन्य लोगों को पिपरवार थाने बुलाकर पूछताछ की गई थी.