रांची: सीबीआई ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आदित्यपुर ब्रांच से करोड़ों की जालसाजी के मामले में सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज कराई है. आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया में कंपनी चलाने वाले अरूण कुमार तिवारी, उनकी पत्नी सरस्वती देवी और बेटे रितेश कुमार को सीबीआई ने तीन अलग-अलग मामलों में आरोपी बनाया है.
एफआईआर दर्ज
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के चाईबासा रीजन के चीफ मैनेजर क्रेडिट रविशंकर चौधरी के बयान पर सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज किया है. आरोपी सरायकेला- खरसावां के बड़ा ग्महरिया, शिवपुरी कॉलोनी के रहने वाले हैं.
केस-1
सरस्वती कॉम्पोनेंट मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड ने लगाया 7.52 करोड़ का चुना
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के जमशेदपुर स्थित रीजनल ऑफिस से सरस्वती कॉम्पोनेंट मोटर्स प्रावइेट लिमिटेड ने सितंबर 2013 में लोन लिया था. कंपनी ने बैंक को 7.52 करोड़ का नुकसान पहुंचाया. सीबीआई ने इस मामले में कंपनी के अरूण कुमार , अरूण कुमार की पत्नी सरस्वती देवी को आरोपी बनाया है. दोनों सरायकेला के बड़ा गम्हरिया के रहने वाले हैं.
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सीबीआई में शिकायत की थी
कंपनी के चीफ मैनेजर रविशंकर सिंह ने सीबीआई में शिकायत की थी. सीबीआई के एफआईआर में जिक्र है कि कंपनी ने इलेक्ट्रोनिक डीलर फाइनेंस स्कीम के तहत 2013 में 7.80 करोड़ का लोन लिया था. कंपनी ने रजिस्टार ऑफ कंपनीज को अपने बैलेंस सीट में 2014 और 2015 का ग्रोस सेल 145 करोड़ और 147 करोड़ बताया था. जबकि बैंक को 91 और 62 करोड़ के सेल की जानकारी दी गई थी. लोन लेने के दौरान कंपनी ने टाटा स्टील से गाड़ियों की खरीद की बात कही थी. लेकिन सोनपुर, हाजीपुर, छपरा और गोपालगंज से गाड़ियों की खरीद की गई. 2016 के बाद लोन एकाउंट से पेमेंट भी रेगुलर नहीं रहा. ऐसे में 31 दिसंबर 2016 को लोन एनपीए हो गया.
केस-2
हाईड्रोलिंग सॉल्यूशन के जरिए 3.15 करोड़ की जालसाजी
एसबीआई आदित्यपुर एसएम ब्रांच से 3.15 करोड़ की जालसाजी के मामले में सीबीआई ने दूसरी एफआईआर की है. इस एफआईआर में शिवपुरी कॉलोनी निवासी अरूण कुमार तिवारी, उनके बिजनेस पार्टनर और बेटे रितेश कुमार को आरोपी बनाया गया है.
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अलग-अलग व्यवसाय के लिए लोन
सीबीआई के एफआईआर के मुताबिक, अरूण कुमार तिवारी ने अपने बेटे को पार्टनर बनाते हुए मेसर्स साईं हाइड्रोलिक सॉल्यूशन कंपनी खोली थी. कंपनी के नाम पर जुलाई 2015 में 2.50 करोड़ का लोन हाईड्रोलिक सिलिंडर डीलर व्यवसाय के लिए लिया गया था. अरूण कुमार की तीन अलग-अलग कंपनियां भी एक ही कैंपस में थी. ऐसे में उनके अलग-अलग व्यवसाय के लिए मिले लोन को एक दूसरे में ट्रांसफर करते रहे. इसी बीच 26 सितंबर 2016 को लोन एनपीए राशि 3.15 करोड़ हो गई. लोन राशि के रिकवरी के लिए स्ट्रेस्ड एसेट्स मैनेजमेंट ब्रांच पटना को भी पत्र लिखा गया था, लेकिन लोन राशि की रिकवरी नहीं हो पाई. ऐसे में सीबीआई की आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज की.
केस-3
सरस्वती कॉम्पोनेंट पर दूसरा केस, 4.92 करोड़ की जालसाजी
सरस्वती कॉम्पोनेंट मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ एक अन्य प्राथमिकी हुई है, जिसमें 4.92 करोड़ की जालसाजी का जिक्र है. इस एफआईआर में भी जिक्र है कि कंपनी ने इलेक्ट्रोनिक डीलर फाइनेंस स्कीम के तहत एक अन्य लोन अक्टूबर 2015 में पांच करोड़ का लोन लिया.
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लोन एनपीए
इस लोन के लिए भी कंपनी ने खुद को टाटा मोटर्स का डीलर बताया, लेकिन गाड़ियों की खरीद बिहार के अलग-अलग जिलों से की. बैंक ने अपनी जांच में भी कई गड़बड़ियां पाई थी. बैंक के ऑडिटर ने भी अपनी रिपोर्ट में बताया कि लोन लेने वाली कंपनी ने अपने फंड से 2.36 करोड़ की राशि दूसरे कंपनी में ड्रायवर्ट की. 31 दिसंबर 2016 को इस कंपनी का दूसरा लोन भी एनपीए हो गया. लोन एनपीए के बाद बैंक को 4.92 करोड़ का नुकसान हुआ.