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लातेहार की आठ नाबालिग लड़कियां ट्रैफिकिंग कर लाई गई थी रांची, त्रिपुरा भेजने से पहले कराईं गईं मुक्त - रांची समाचार

लातेहार की आठ नाबालिग लड़कियां ट्रैफिकिंग रांची लाई गई थी. इन्हें यहां से त्रिपुरा भेजने की थी तैयारी इसी दौरान एक एनजीओ ने पुलिस की मदद से इन्हें मुक्त करवा लिया.

8 minor girls were freed with the help of Ranchi Police
8 minor girls were freed with the help of Ranchi Police

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Published : Mar 15, 2022, 11:07 PM IST

रांची:झारखंड के लातेहार जिले की आठ नाबालिग लड़कियों को त्रिपुरा ले जाने की तैयारी थी. सभी नबालिग आदिम जनजाति से हैं और सभी को कौशल विकास योजना की आड़ में लातेहार से ह्यूमन ट्रैफिकिंग रांची लाया गया था, सभी को त्रिपुरा भेजने की तैयारी थी. लेकिन उससे पहले ही एक एनजीओ की सहायता से पुलिस ने सभी को मुक्त करवा लिया. पूरे मामले को लेकर रांची के कोतवाली थाने स्थित एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में भी एफआईआर दर्ज की गई है.


क्या है एफआईआर में:एफआईआर में बताया गया है कि आठ बच्चियाें को बहला फुसलाकर प्रशिक्षण दिलाने के नाम पर रांची लाया गया था. सभी की उम्र 15 से 17 वर्ष के बीच है. रांची में उन्हें एदलातू स्थित प्लेनेट इटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड संस्थान में दीनदयाल कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण के नाम पर रखा गया था. सभी को फर्जी नाम और पता अंकित कर संस्था में रखा गया था. जबकि उनके परिजनों को भी सही जानकारी नहीं दी जा रही थी. इसकी जानकारी मिलने के बाद गांव में एक ग्राम सभा भी हुई. ग्राम सभा के बाद उन्हें वापस लाने पर सहमति बनी, इसके बाद बच्चियों के माता-पिता के साथ रांची पहुंचे और दो बच्चियों को मुक्त कराया गया.

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छह लड़कियों को को खुद भेज दिया घर:दो बच्चियों को मुक्त कराए जाने के बाद प्लेनेट इटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड संस्थान ने छह अन्य बच्चियों को उनके घर भेज दिया गया. ग्राम प्रधान और ग्रामीणों के साथ जब कोतवाली थाने की पुलिस वहां पहुंची, तो छह बच्चियां नहीं मिली. पता करने जानकारी मिली कि संस्था ने सभी को उनके घर भेज दिया है. हालांकि पुलिस सभी बच्चियों को रांची बुलवाएगी. सभी को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद बयान दर्ज किया जाएगा. इसके बाद सभी को घर भेजा जाएगा.

जेएसएलपीएस को सूचना दिए बगैर लाई गई बच्चियां:जिन बच्चियों को रांची लाकर प्रशिक्षण के नाम पर रखा गया था, इसे लेकर कौशल विकास योजनाओं का समन्वय कर रही झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी को सूचना नहीं दी गई थी. नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडिया वोमेन यूनाइटेड मिल्ली फोरम ने बताया कि संदीप नाम के व्यक्ति द्वारा बच्चियों के माता-पिता के बिना सहमती के इन बच्चियों को रांची लाया गया था. प्लेनेट संस्था में रहने के दौरान इन बच्चियों को मालूम हुआ कि तीन महीने बाद इन्हें त्रिपुरा भेजा जाएगा. बच्चियां इस दौरान ट्रेसलेस थी. आगे भी इनका कुछ पता नहीं चल पाता. इसबीच कई सामाजिक एवं मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के द्वारा खोजबीन के दौरान पता चला कि बच्चियों को गलत ढंग से रखा गया था.

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