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जैप वन का 140वां स्थापना दिवस, डीजीपी ने सुनाई गोरखा जवानों की वीरता की गाथा - डीजीपी कमल नयन चौबे

जैप वन का 140वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन रविवार को डोरंडा स्थित जैप परिसर में किया गया. कार्यक्रम के दौरान झारखंड के डीजीपी कमल नयन चौबे शामिल हुए. उन्होंने कहा कि जैप वन का इतिहास बहुत ही गौरवमयी रहा है.

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जैप वन का 140वां स्थापना दिवस

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Published : Jan 5, 2020, 1:40 PM IST

रांची: जैप वन का 140वां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन रविवार को डोरंडा स्थित जैप परिसर में किया गया. इस मौके पर मुख्य अतिथि झारखंड के डीजीपी कमल नयन चौबे ने कहा कि जैप वन का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है. यहां के वीर जवानों ने हमेशा अपनी शहादत देखकर जैप वन का नाम बुलंद किया है.

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वीआईपी सुरक्षा से लेकर नक्सलियों तक से लेते हैं लोहा
झारखंड में अगर वीआईपी सुरक्षा या फिर नक्सलियों के खिलाफ लोहा लेने की बात हो तो उसमें अगर गोरखा जवानों की बात नहीं की जाए तो यह कहानी अधूरी रह जाती है. झारखंड में पिछले 140 सालों से गोरखा के जवान सुरक्षा का जिम्मा संभाले हुए हैं. झारखंड के सभी बड़े वीवीआईपी की सुरक्षा का जिम्मा भी जैप वन के जवानों पर ही है. झारखंड के डीजीपी ने कहा कि यह फोर्स उन्हें गौरव प्रदान करती है, आज इस फोर्स का 140वां स्थापना है. इस अवसर पर पूरे पुलिस परिवार की ओर से डीजीपी होने के नाते वे जैप परिवार को बधाई देते हैं.

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1880 में हुई थी स्थापना, कैसा रहा है इतिहास
जनवरी 1880 में अंग्रेजों के शासनकाल में इस जैप वन की स्थापना न्यू रिजर्व फोर्स के नाम से हुई थी. वर्ष 1892 में इस वाहिनी को बंगाल मिलिट्री पुलिस का नाम दिया गया. उस समय इस वाहिनी की टुकड़ियों की प्रतिनियुक्ति तत्कालीन बंगाल प्रांत, बिहार, बंगाल और ओडिशा को मिलाकर की जाती रही. साल 1905 में इस वाहिनी का नाम बदलकर गोरखा मिलिट्री रखा गया. जिसके बाद दूसरे स्थानों पर प्रतिनियुक्त गोरखा सिपाहियों को भी इस वाहिनी में शामिल किया गया.

कई बार बदले गए नाम
देश की आजादी के बाद 1948 में इस वाहिनी का नाम बदलकर प्रथम वाहिनी बिहार सैनिक पुलिस रखा गया था. इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति नियमित रूप से देश के विभिन्न राज्यों में की जाती रही, जिसमें वर्ष 1902 से 1911 तक देहली दरबार, वर्ष 1915 में बंगाल, 1917 में मयूरभंज, मध्य प्रदेश, 1918 में सरगुजा मध्य प्रदेश, 1935 में पंजाब, 1951 में हैदराबाद, 1953 में जम्मू-काश्मीर, 1956 में असम (नागालैंड), 1962 में चकरौता (देहरादून) आदि शामिल हैं.

वर्ष 2000 में नाम जैप वन रखा गया
यहां तक कि वर्ष 1971 में भारत पाक युद्ध के समय इस वाहिनी को त्रिपुरा के आंतरिक सुरक्षा कार्यों के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था. उस वक्त साहसपूर्ण कार्यों के लिए वाहिनी को भारत सरकार ने पूर्वी सितारा पदक से नवाजा था. वर्ष 1982 में दिल्ली में आयोजित नवम एशियाड खेलकूद समारोह के दौरान इस वाहिनी की प्रतिनियुक्ति की गई, जहां बेहतर कार्य के लिए दिल्ली सरकार ने सराहा था. वर्ष 2000 में झारखंड अलग गठन के बाद इस वाहिनी का नाम झारखंड सशस्त्र पुलिस वन (जैप वन) रखा गया.

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आंनद मेले का आयोजन
स्थापना दिवस समारोह के मुख्य कार्यक्रम के बाद डीजीपी कमल नयन चौबे, डीजी मुख्यालय और दूसरे अतिथियों ने जैप वन ग्राउंड में ही लगे तीन दिवसीय आनंद मेले का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन कर दिया. मेले में 84 स्टॉल लगाए गए हैं. गोरखा जवानों के बीच आनंद मेले का विशेष महत्व होता है. इसमें राज्य भर से आय उत्पादों की बिक्री की जाती है. मेले में गोरखा जवानों के अलावा आम लोग भी खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं. मेले के उद्घाटन के अवसर पर मुख्य अतिथि डीजीपी कमल नयन चौबे ने भी खरीदारी की.

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