रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सह वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने राष्ट्र निर्माण की अपने महान विरासत कांग्रेस की श्रृंखला धरोहर की बारहवीं वीडियो मंगलवार को अपने सोशल मीडिया पर शेयर की. उन्होंने कहा कि पूज्य बापू यूं ही आजादी के महानायक नहीं बन गए थे. वह देशवासियों की पीड़ा जानने के लिए देश की यात्रा पर निकल पड़े. इसी यात्रा में बिहार ने बापू को उनकी यात्रा का पता बताया और जरिया बना चंपारण.
1915 में गांधी का भारत आगमन
रामेश्वर उरांव ने कहा कि 9 जनवरी 1915 को महात्मा गांधी का भारत आगमन हो चुका था. अपने गुरु गोपाल कृष्ण गोखले की सलाह पर गांधी जी संघर्ष के उस दौर में भारत को जानने, देश की समस्याओं को महसूस करने के लिए पूरे देश की यात्रा पर निकल पड़े. उनकी इस यात्रा में एक पड़ाव आता है बिहार का चंपारण जिला, जहां कि किसानों को ब्रिटिश हुकूमत जबरन नील की खेती करने के लिए मजबूर कर रही थी. नील की ये खेती किसानों के खेतों के साथ उनके भविष्य को भी निगल रही थी. महात्मा गांधी इन किसानों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आए. इन किसानों की दुर्दशा दूर करने के लिए गांधीजी ने भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू किया, जो आगे चलकर इतिहास में चंपारण सत्याग्रह के नाम से जाना गया. सत्य और अहिंसा के इस पुजारी से हथकंडों के बल पर निपटना संभव ही नहीं था. अंततः महात्मा गांधी भारत भूमि पर अपने पहले सत्याग्रह में सफल हुए और अंग्रेजी हुकूमत को नील की खेती का फरमान रद्द करना पड़ा.
अंग्रेजों के जुल्म से चंपारण त्रस्त
कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि अंग्रेजों के जुल्म से जब चंपारण त्रस्त था तो महात्मा गांधी मोतिहारी के चंपारण पहुंचकर सत्याग्रह का जो बिगुल फूंका वह चंपारण सत्याग्रह के नाम से प्रसिद्ध है. उन्होंने अंग्रेजों के अत्याचार से किसानों को मुक्ति दिलाई और किसानों से जबरन नील की खेती कराने की प्रथा पर रोक लगाई. चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन का भारत भूमि पर पहला प्रयोग था, जो मील का पत्थर साबित हुआ.