रांची:आज से ठीक एक साल पहले रुह को राहत देने वाले शायर राहत इंदौरी इस दुनिया रुखसत हो गए थे. 1 जनवरी 1950 को मध्य प्रदेश के इंदौर में जन्मे राहत इंदौरी ने हिंदुस्तान के हर कोने में और दुनिया के कई मुल्कों में मुशायरा लूटा. उनकी शख्सियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब किसी शहर में लोगों को यह पता चलता था कि राहत साहब आ रहे हैं तो उन्हें सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ता था. हर शायरी पर तालियों की गड़गड़ाहट होती थी.
कहते थे- मरने पर जेब तलाशियेगा, विडंबना देखिए- जब गए तब छू भी नहीं सकते थे
राहत इंदौरी कहते थे कि जब मर जाऊं तो मेरी जेब तलाशियेगा. जेब में कागज होगी और उसमें एक शेर लिखा होगा. मतलब मैंने वह शेर लिख लिया है जो मुझे इस दुनिया से रुखसत कर सकती है. लेकिन, विडंबना देखिए जब उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा तब उन्हें कोई छू भी नहीं सकता था. उन्हें कोरोना हुआ था और इलाज के दौरान वे चल बसे. 11 अगस्त 2020 को शाम 5 बजे वे हमेशा के लिए चले गए. राहत साहब को गए हुए एक साल हो गए लेकिन उनके फैंस आज भी उन्हें यू-ट्यूब और सोशल मीडिया पर उसी मोहब्बत के साथ सुनते हैं.
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